मध्य प्रदेश सरकार नए साल में अपने कर्मचारियों को एक बड़ी सौगात देने की तैयारी कर रही है। राज्य के करीब 15 लाख सरकारी कर्मचारियों और उनके आश्रितों के लिए एक नई स्वास्थ्य बीमा योजना का खाका तैयार कर लिया गया है। इस प्रस्तावित योजना के तहत कर्मचारियों को गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए 10 लाख रुपये तक की कैशलेस मेडिकल सुविधा मिल सकेगी।
यह नई व्यवस्था केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना की तर्ज पर काम करेगी। राज्य सरकार ने कर्मचारी संगठनों की लंबे समय से चली आ रही मांगों को ध्यान में रखते हुए ‘मुख्यमंत्री आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना’ नाम से इस प्रस्ताव को तैयार किया है। माना जा रहा है कि यह योजना वर्ष 2026 में पूरी तरह से लागू हो सकती है।
वेतन से कटेगा अंशदान, बाकी खर्च उठाएगी सरकार
प्रस्तावित योजना का मॉडल कॉन्ट्रिब्यूटरी हेल्थ स्कीम जैसा होगा। इसके तहत इलाज के खर्च का एक हिस्सा प्रीमियम के रूप में कर्मचारियों के वेतन से काटा जाएगा, जबकि बाकी की बड़ी रकम सरकार वहन करेगी। एक बार यह सिस्टम लागू होने के बाद कर्मचारियों को अपनी जेब से इलाज का खर्च नहीं उठाना पड़ेगा। फिलहाल, कर्मचारियों को इलाज का खर्च खुद उठाना पड़ता है और बाद में प्रतिपूर्ति (Reimbursement) के लिए आवेदन करना होता है।
कैशलेस इलाज से मिलेगी बड़ी राहत
मौजूदा व्यवस्था में अगर कोई कर्मचारी या उनके परिवार का सदस्य बीमार होता है, तो उन्हें अस्पताल का पूरा बिल पहले अपनी जेब से भरना पड़ता है। इसके बाद बिलों को सरकारी दफ्तरों में जमा करना होता है, जहां ऑडिट और भुगतान की प्रक्रिया काफी जटिल और लंबी होती है। कई बार गंभीर बीमारियों में लाखों का खर्च होने पर कर्मचारियों को लोन तक लेना पड़ जाता है।
नई योजना में कैशलेस सुविधा होने से यह समस्या खत्म हो जाएगी। राज्य सरकार इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के भीतर और बाहर के बड़े निजी अस्पतालों के साथ अनुबंध (Tie-up) करेगी। इससे कर्मचारियों को देश के अच्छे अस्पतालों में बिना पैसे दिए इलाज कराने की सहूलियत मिलेगी।
कर्मचारी संगठनों की मांग पर बनी सहमति
राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठन लंबे समय से कैशलेस मेडिकल सुविधा की मांग कर रहे थे। उनका कहना था कि रिटायरमेंट के बाद या नौकरी के दौरान गंभीर बीमारी होने पर आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। सरकार द्वारा तैयार किए गए इस प्रस्ताव को कर्मचारी हित में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जा सकता है।










