एमपी को मिला रेलवे में रफ्तार का बूस्टर, ये रेल लाइन बनेगी फोरलेन, ट्रेनों की स्पीड में आएगी तेजी

मध्यप्रदेश की रतलाम-नागदा फोरलाइन रेलवे परियोजना को रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिल गई है, जिससे ट्रेनों की गति, संख्या और माल ढुलाई की सुविधा में सुधार होगा। इस प्रोजेक्ट के साथ दिल्ली-मुंबई रूट पर भी विस्तार होगा और गोधरा-रतलाम सेक्शन में हाईस्पीड ट्रेनों का रास्ता खुलेगा, जिससे आर्थिक व पर्यावरणीय लाभ मिलेंगे।

Srashti Bisen
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मध्य प्रदेश में रेलवे आधारभूत संरचना को सुदृढ़ बनाने की दिशा में सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। राज्य प्रशासन द्वारा प्रस्तावित रतलाम-नागदा फोरलाइन ब्रॉडगेज रेलवे परियोजना को अब रेलवे बोर्ड से मंजूरी मिल गई है। यह परियोजना न केवल ट्रेनों की गति और संख्या बढ़ाएगी, बल्कि माल ढुलाई और यात्री सुविधाओं को भी बेहतर बनाएगी।

इस परियोजना के तहत रतलाम से नागदा के बीच 41 किलोमीटर लंबी तीसरी और चौथी रेलवे लाइन बिछाई जाएगी। यह नई लाइन मौजूदा दोहरी लाइन से थोड़ा अलग मार्ग से गुजरेगी और इसमें कुछ नए स्टेशनों का भी प्रस्ताव शामिल है। रतलाम रेल मंडल प्रशासन ने पहले इस योजना का सर्वेक्षण किया था और सभी विवरण रेलवे बोर्ड को भेजे थे, जिसे अब स्वीकृति मिल चुकी है।

गोधरा से रतलाम तक होगा फोरलाइन का विस्तार

इस महत्वाकांक्षी परियोजना का दूसरा चरण गोधरा से रतलाम के बीच फोरलाइन रेलवे ट्रैक के निर्माण पर केंद्रित होगा। इस ट्रैक पर मार्च 2026 तक 160 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से ट्रेनों का संचालन सुनिश्चित करने के लिए ट्रैक को मजबूत करने, और मोड़ों (कर्व्स) को खत्म करने जैसे कार्य किए जाएंगे।

दिल्ली-मुंबई रूट पर भी तेजी से विस्तार

इस प्रोजेक्ट के समानांतर, केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने वर्धा-बल्हारशाह के बीच तीसरी लाइन और रतलाम-नागदा के बीच चौथी लाइन को भी मंजूरी दी है। इससे दिल्ली-मुंबई मुख्य मार्ग पर ट्रेनों की रफ्तार और संख्या में वृद्धि होगी।

मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी के तहत पीएम-गति शक्ति मास्टर प्लान के अंतर्गत, खंडवा से आलीराजपुर, खरगोन, और बड़वानी रेलवे मार्गों के सर्वेक्षण को भी हरी झंडी मिल चुकी है। यह योजना न सिर्फ मध्यप्रदेश, बल्कि उत्तर प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों के लिए भी रेलवे नेटवर्क को मजबूत करेगी।

आर्थिक और पर्यावरणीय लाभ

इन रेलवे परियोजनाओं से कोयला, सीमेंट, जिप्सम, फ्लाई ऐश, कंटेनर, पेट्रोलियम उत्पाद और कृषि सामग्री के परिवहन में तेजी आएगी। इससे परिवहन लागत में कमी, तेल आयात में कटौती, और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में भारी गिरावट संभव होगी। साथ ही रेलवे की आय में भी वृद्धि होगी, जिससे भविष्य के विकास कार्यों में और अधिक निवेश किया जा सकेगा।

क्या होंगे प्रत्यक्ष लाभ?

  • ट्रैफिक संतुलन: यात्री और मालगाड़ियों के संचालन में टकराव कम होगा, जिससे ट्रेनें समय पर चल सकेंगी।
  • संचालन क्षमता में वृद्धि: अधिक ट्रेनों का संचालन संभव होगा, खासकर भीड़भाड़ वाले मार्गों पर।
  • आर्थिक प्रगति: माल ढुलाई की गति तेज होगी, जिससे व्यापार में बढ़ोतरी होगी।
  • नई ट्रेन सेवाओं का आगमन: भविष्य में वंदे भारत और अन्य सेमी-हाईस्पीड ट्रेनों के संचालन के लिए रास्ता साफ होगा।