मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने 19 नए कॉलेजों की स्थापना को स्वीकृति दे दी है। इन कॉलेजों की संबद्धता की प्रक्रिया (Process of Affiliation) बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय द्वारा निरीक्षण के बाद पूरी की जाएगी। इस सूची में सबसे अधिक 10 कॉलेज भोपाल में खोले जाएंगे, जिससे राजधानी में उच्च शिक्षा के अवसरों का व्यापक विस्तार होगा।
गौरतलब है कि इस वर्ष विभाग को कुल 61 नए कॉलेजों के प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिनमें से कई का निरीक्षण करने के बाद योग्य संस्थानों को मान्यता प्रदान की गई है।

15 सामान्य और 8 लॉ कॉलेजों को मान्यता मिली
विभाग की निरीक्षण टीम ने आवेदन करने वाले संस्थानों के बुनियादी ढांचे, शिक्षकों की उपलब्धता, पुस्तकालय, प्रयोगशालाओं और अन्य सुविधाओं का गहन परीक्षण किया। इस जांच के आधार पर 15 सामान्य कॉलेजों और 8 विधि महाविद्यालयों (लॉ कॉलेज) को मान्यता दी गई है। इसके साथ ही, अन्य 19 कॉलेजों को भी संचालन की अनुमति दी गई है। इस निर्णय से शैक्षणिक विकल्पों में बढ़ोतरी होगी और विद्यार्थियों को विविध कोर्स में प्रवेश के अधिक अवसर मिलेंगे।
कई प्रस्ताव हुए खारिज, मानकों पर नहीं उतरे खरे
दूसरी ओर, 21 कॉलेजों के प्रस्तावों को निरीक्षण टीम ने यह कहकर खारिज कर दिया कि वे निर्धारित मानकों को पूरा नहीं कर सके। इनमें 8 लॉ कॉलेज भी शामिल हैं, जिन्हें आवश्यक शैक्षणिक और भौतिक सुविधाओं की कमी के कारण मान्यता नहीं दी जा सकी। यह कदम यह दर्शाता है कि विभाग गुणवत्ता के प्रति सजग है और किसी भी प्रकार की शैक्षणिक समझौता नहीं किया जाएगा।
कुलपति की छुट्टी बनी बाधा, संबद्धता प्रक्रिया अटकी
कॉलेजों को अंतिम संबद्धता देने से पहले विश्वविद्यालय द्वारा एक भौतिक निरीक्षण किया जाना आवश्यक है। लेकिन बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति के एक माह से अवकाश पर होने के कारण यह प्रक्रिया फिलहाल धीमी पड़ गई है। कई फाइलें लंबित हैं और अंतिम निर्णय विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी परिषद (ईसी) की स्वीकृति के बाद ही लिया जा सकेगा। कुलपति की अनुपस्थिति के कारण संबद्धता प्रक्रिया में अस्थायी अड़चनें आई हैं।
राजधानी को मिलेंगे ज्यादा विकल्प
विशेषज्ञों का मानना है कि भोपाल में 10 नए कॉलेजों की स्थापना से न केवल छात्रों को विभिन्न विषयों में दाखिले के अधिक विकल्प मिलेंगे, बल्कि इससे शिक्षा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी। इससे शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को बेहतर संसाधन प्राप्त होंगे। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पूरी मान्यता प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ अंजाम दिया गया है, और केवल उन्हीं संस्थानों को अनुमति दी गई है जो सभी आवश्यक मानकों पर खरे उतरे हैं।