बर्बादी की कगार पर खड़े हेल्थ सिस्टम का पोस्टमार्टम कौन करेगा ?

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By Anukrati GattaniPublished On: April 13, 2023

अर्जुन राठौर

पीसी सेठी अस्पताल में 11 अप्रैल को गर्भवती महिला के साथ जो दर्दनाक हादसा हुआ है वह साबित करता है कि हमारा हेल्थ सिस्टम पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर खड़ा है और इसके लंबे पोस्टमार्टम की आवश्यकता है जिस तरीके से एक जमाने में एम वाय हॉस्पिटल में चूहों की समस्या से निजात पाने के लिए पूरे अस्पताल का कायाकल्प किया गया था उसी तरह से अब हेल्थ सिस्टम का कायाकल्प करने की जरूरत है तभी सरकारी पैसों का उपयोग आम जनता के लिए हो पाएगा । लालफीताशाही और भ्रष्टाचार के चूहे सरकारी स्वास्थ्य सिस्टम को बुरी तरह से कुतरकर इसे खोखला कर रहे हैं और इसका खामियाजा भुगत रही है बेचारी गरीब जनता।

 

गर्भवती महिला के बच्चे की गर्भ में ही मौत होने के बाद हालात इतने बदतर हो गए कि इंदौर के कलेक्टर को देर रात को अस्पताल प्रभारी को फोन करके बोलना पड़ा और उसके बाद ऑपरेशन करके मृत बच्चे को बाहर निकाला गया निश्चित रूप से यह बेहद शर्मनाक स्थिति है ।

सवाल इस बात का है कि क्या अब इंदौर के कलेक्टर को डॉक्टरों को उनकी जिम्मेदारी याद दिलाने के लिए सारे प्रशासकीय कार्य छोड़ कर फोन करना पड़ेगा ?

इस पूरी घटना की जांच के लिए दो सदस्यों कमेटी जरूर बनाई गई है लेकिन कमेटी की जांच के बाद क्या डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी या फिर जांच रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा जैसा कि अभी तक होता आया है ।

इंदौर के सरकारी अस्पतालों में आम जनता को सबसे पहले दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है ऐसा लगता है कि मानो वे अस्पतालों में इलाज के लिए नहीं बल्कि भीख मांगने के लिए आए हैं ,चिट्ठी बनाने से लेकर इलाज पूरा होने तक उनके साथ न केवल गंदा व्यवहार किया जाता है बल्कि जमकर वसूली भी की जाती है अस्पताल में उपलब्ध दवाइयों के बावजूद उन्हें बाहर के मेडिकल स्टोर से मनमाने दामों में दवाइयां खरीदने के लिए बाध्य किया जाता है ।

मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार आम गरीब जनता को अधिक से अधिक स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए नई नई योजनाएं लागू कर रही है जिसमें जननी योजना भी शामिल है लेकिन इन तमाम योजनाओं की सच्चाई कुछ और ही है भोपाल से लागू होने वाली योजनाओं के लाभ को आम जनता तक पहुंचने ही नहीं दिया जाता ।

समाज का जो कमजोर तबका है उसके साथ सबसे बड़ी परेशानी यही है कि वो निजी अस्पतालों में भी नहीं जा सकता वहां भी उसके साथ जमकर लूट होती है और सरकारी अस्पतालों में आने के बाद उसे भयानक लापरवाही का सामना करना पड़ता है जिसमें उसकी जान भी जोखिम में रहती है ।

ऐसी स्थिति में आवश्यकता इस बात की है कि संभाग से लेकर तहसील स्तर तक मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं का कठोरता के साथ पोस्टमार्टम किया जाए तभी आम गरीब जनता को स्वास्थ्य सेवाओं का वास्तविक लाभ मिल सकेगा ।