राजेश राठौर
पुरानी इंदौर के अयोध्या कहे जाने वाले लोधीपुरा में भगत दादा याने भगत सिंह गौड़ अब इस दुनिया में नहीं रहे। वह उस गौड़ परिवार से थे, जिन्होंने काफी संघर्ष किया और उसके बाद परिवार के लक्ष्मण सिंह गौड़ ने राजनीति में नाम कमाया। उसके कारण भरा पूरा परिवार चर्चा में आ गया। उनके बड़े भाई भगत दादा इन सब बातों से ऊपर उठकर अलग पहचान बनाए हुए थे। नियमित रूप से सुबह मोहल्ले के लोगों से बात करना। उसके बाद नगर निगम दफ्तर जाना, शाम को वापस लौटने के बाद लोगों के हाल जानना और अपनी मस्ती में रहना, उनकी पहचान थी। उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह गौड़ विधायक बन गए, मंत्री बन गए लेकिन भगत दादा को कोई फर्क नहीं पड़ा।
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वह हमेशा ईमानदारी से काम करते थे। नगर निगम में यदि 50 अफसर या कर्मचारी समय पर पहुंचते थे तो उनमें एक नाम दादा का था। पास में रहने वाले नारायण सिंह और वह दोनों नगर निगम समय पर पहुंचते और समय पर ही शाम को घर लौटते। कभी नगर निगम में रहकर भगत दादा ने यह नहीं कहा कि मैं लक्ष्मण सिंह का भाई हूं। कोई फायदा लेने की बात कभी नहीं सोची। कभी उनके पास कोई काम के लिए आता उसका काम कर देते।
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राजनीति से दूर से लेकिन समाज के लोगों और मोहल्ले वालों के लिए बड़े भाई जैसे ही रहे। हमेशा मुस्कुराते रहना और अपनों के हाल-चाल जानना, उनकी पहचान थी। उनके बेटे राज सिंह भी राजनीति में है लेकिन उसका भी असर उनके व्यक्तित्व पर नहीं पड़ा। आमतौर पर राजनीतिक परिवार के सदस्य का व्यवहार अलग हो जाता है, लेकिन भगत दादा आत्मीयता से मिलते थे। कुछ समय से बीमार चल रहे थे। कल उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतिम संस्कार में शामिल पुराने सभी लोगों के मुंह से बस यही निकला कि लोधी पुरा के भगत चले गए।