होमगार्ड स्थापना दिवस पर मंत्री विजयवर्गीय ने जवानों को दिया बड़ा तोहफा, अब इतने साल में होंगे रिटायर

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By Abhishek SinghPublished On: December 7, 2025

इंदौर में शनिवार को होमगार्ड स्थापना दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया। बिशप हाउस स्थित व्हाइट चर्च के पास होमगार्ड लाइन में भव्य परेड का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने परेड का निरीक्षण कर सलामी ग्रहण की। इसी दौरान एसडीईआरएफ की टीम ने मॉकड्रिल प्रस्तुत की और विभिन्न उपकरणों की प्रदर्शनी भी आयोजित की।

होमगार्ड जवानों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ी

अपने संबोधन में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जवानों को यह बताते हुए खुशी जताई कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने होमगार्ड कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है, जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण सौगात है। वैश्विक परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर हालात युद्ध जैसे बनते दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में पूर्ण तैयारी आवश्यक है। मंत्री ने बताया कि देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सिविल डिफेंस की एक सक्षम सेना तैयार करनी होगी। उन्होंने कहा कि होमगार्ड पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ हैं और विश्वास है कि वे इन्हें पूरी प्रतिबद्धता के साथ निभाएंगे।

स्थापना दिवस पर दिखाया अनोखा प्रदर्शन

स्थापना दिवस के अवसर पर होमगार्ड जवानों ने अनुशासित परेड का प्रदर्शन किया। इसके बाद एसडीईआरएफ की टीम ने आपदा प्रबंधन संबंधी मॉकड्रिल प्रस्तुत की, जिसे देखकर उपस्थित लोग उत्साहित हो उठे। कार्यक्रम में सिविल डिफेंस टीम ने आत्मरक्षा पर आधारित एक नाटिका भी पेश की, जिसने दर्शकों को सुरक्षा के प्रति जागरूक किया। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने होमगार्ड और सिविल डिफेंस की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि ये दल समाज में अव्यवस्था को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा, प्राकृतिक आपदाओं और विभिन्न आयोजनों में उनकी भागीदारी अत्यंत आवश्यक है।

हुमायूं कबीर पर भी की टिप्पणी

मीडिया से बातचीत के दौरान मंत्री विजयवर्गीय ने हुमायूं कबीर के मामले पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हुमायूं कबीर पहले भाजपा से जुड़े थे और उन्होंने उन्हें चुनाव लड़वाया था, लेकिन अब वे टीएमसी में शामिल हो गए हैं। मंत्री ने आरोप लगाया कि कबीर अपनी विश्वसनीयता दिखाने के लिए ऐसे कदम उठा रहे हैं और बाबरी मस्जिद के प्रति उनकी श्रद्धा वास्तविक नहीं है। उनके अनुसार यह सब केवल अपनी पार्टी और समाज में प्रतिष्ठा बनाने की रणनीति है।