महाआर्यमन सिंधिया बने MPCA के सबसे युवा अध्यक्ष, कार्यकारिणी घोषित होने से पूर्व किए खजराना गणेश के दर्शन

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By Abhishek SinghPublished On: September 2, 2025

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन सिंधिया मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (MPCA) के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं। उनके साथ पूरी कार्यकारिणी भी बिना मुकाबले निर्वाचित हुई है। 29 वर्ष की आयु में महाआर्यमन एमपीसीए के सबसे युवा अध्यक्ष बने हैं।


एमपीसीए की वार्षिक आमसभा (एजीएम) मंगलवार को इंदौर के होलकर स्टेडियम में आयोजित हुई, जिसमें नई कार्यकारिणी के चयन की घोषणा की गई। इस अवसर पर ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उपस्थित रहे।

इससे पूर्व ज्योतिरादित्य सिंधिया महाआर्यमन के साथ खजराना गणेश मंदिर पहुंचे और दर्शन किए। इस दौरान मंत्री तुलसीराम सिलावट भी उनके साथ थे। एजीएम में शामिल होने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया और महाआर्यमन सिंधिया सोमवार रात ही इंदौर पहुंच गए थे।

उपाध्यक्ष रहते हुए एमपी लीग की नींव रखी

पिछले तीन वर्षों से महाआर्यमन क्रिकेट गतिविधियों में सक्रिय हैं। वर्ष 2022 में उन्हें जीडीसीए का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया और साथ ही एमपीसीए की आजीवन सदस्यता भी प्रदान की गई। उन्होंने मध्यप्रदेश क्रिकेट लीग (एमपीएल) की शुरुआत की और पिछले दो वर्षों से ग्वालियर में इसका सफल आयोजन किया।

MPCA की कार्यकारिणी

सुधीर असनानी सचिव, अरुंधति किरकिरे सहसचिव, विनित सेठिया उपाध्यक्ष, संजीव दुआ कोषाध्यक्ष चुने गए। मैनेजिंग कमेटी में संध्या अग्रवाल, प्रसून कनमड़ीकर, राजीव रिसोड़कर और ब्रजेश राणा को चुना गया है।

परिवार की अध्यक्षता की विरासत कायम

मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन पर लंबे समय से सिंधिया परिवार का प्रभाव रहा है। दादा माधवराव सिंधिया 1982 से 2001 तक एमपीसीए के अध्यक्ष पद पर रहे, जबकि 2004 से 2019 तक यह जिम्मेदारी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संभाली।

महारानी उषा रानी के पति सतीश मल्होत्रा लंबे समय तक एमपीसीए के अध्यक्ष रहे। सदस्यों के आग्रह पर माधवराव सिंधिया पहली बार एमपीसीए के अध्यक्ष बने और इसके साथ ही वे बीसीसीआई के सदस्य भी बन गए। बाद में 1990 में वे बीसीसीआई के अध्यक्ष चुने गए और 1993 तक इस पद पर बने रहे। इसके बाद, 2002 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पहली बार लोकसभा उपचुनाव लड़ा और 2004 में वे एमपीसीए के अध्यक्ष बने।

कैलाश विजयवर्गीय ने दी थी चुनौती

एमपीसीए में सिंधिया परिवार की पकड़ को करीब 15 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय ने चुनौती दी थी। वर्ष 2010 के चुनावों में ज्योतिरादित्य सिंधिया और विजयवर्गीय आमने-सामने आए थे। कड़ी खींचतान वाले इन चुनावों में सिंधिया ने 70 मतों से विजयवर्गीय पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2020 में सिंधिया के कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद दोनों खेमों के बीच की खींचतान भी समाप्त हो गई।