Indore News : जो काम नौ महीने में नहीं हो सका, वह हाईकोर्ट की एक फटकार के बाद महज दो दिनों में कर दिया गया। मुख्यमंत्री मोहन यादव के आदेश के बावजूद धीमी गति से चल रहे इंदौर बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाने का काम अब रॉकेट की रफ्तार पकड़ चुका है। नगर निगम के अधिकारियों ने सिर्फ दो दिन के भीतर करीब चार किलोमीटर हिस्से से रेलिंग हटा दी है, जबकि इससे पहले नौ महीनों में केवल 300 मीटर का हिस्सा ही तोड़ा जा सका था।
हाईकोर्ट की टिप्पणी से जागा प्रशासन
पिछले दिनों मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान नगर निगम के अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि नगर निगम कुछ ही घंटों में बड़े-बड़े मकान और बिल्डिंग तोड़ देता है, लेकिन बीआरटीएस की रेलिंग क्यों नहीं हटा पा रहा है। इस सख्त रुख के बाद निगम प्रशासन हरकत में आया। निगमायुक्त ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि एक महीने के भीतर पूरे कॉरिडोर से रेलिंग हटा दी जाएगी।
9 महीने की सुस्ती बनाम 2 दिन की तेजी
बीआरटीएस हटाने का फैसला लगभग नौ महीने पहले लिया गया था, लेकिन काम बेहद सुस्त चाल से चल रहा था। शुरुआत में कोई एजेंसी काम करने को तैयार नहीं थी। बाद में एक ठेकेदार ने काम शुरू भी किया तो उसकी गति बहुत धीमी रही। लेकिन अब कोर्ट की अगली सुनवाई से पहले अधिकारी कोई कोताही नहीं बरतना चाहते। हादसों से बचने के लिए रेलिंग को कटर से काटने का काम रात के समय किया जा रहा है।
बस स्टॉप तोड़ने से बढ़ी परेशानी
हालांकि, इस तेजी से आम लोगों को कुछ परेशानी भी हो रही है। बीआरटीएस के बस स्टॉप को तोड़ने का काम दिन में चल रहा है, जिसमें चार से पांच दिन लग रहे हैं। इसके मलबे की वजह से वाहन चालकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा कारणों से रेलिंग रात में और बस स्टॉप दिन में हटाए जा रहे हैं। गौरतलब है कि करीब 15 साल पहले 300 करोड़ रुपये की लागत से 11 किलोमीटर लंबा बीआरटीएस कॉरिडोर बनाया गया था, जिसे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हटाने का निर्देश दिया था।










