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धर्म तीर्थ के प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर बालक ऋषभदेव का जन्म महोत्सव आज, 1008 कलशों से होगा जन्माभिषेक

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By Pinal PatidarPublished On: January 22, 2023

इन्दौर :  कुन्दकुन्द कहान दिगम्बर जैन शासन प्रभावना ट्रस्ट इन्दौर द्वारा आध्यात्मिकसत्पुरुष श्रीकानजीस्वामी के पुण्य प्रभावना योग में निर्मित विश्व की अद्वितीय रचना तीर्थधाम ढाईद्वीप जिनायतन का श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन जन्मकल्याणक महोत्सव मनाया जाएगा

उक्त जानकारी देते हुए आयोजन समिति के प्रमुख एस पी भारिल्ल व प्रवक्ता मनीष अजमेरा ने बताया की आज प्रातः जिनेन्द्र अभिषेक व पूजन पश्चात पंडित अभयकुमारजी शास्त्री देवलाली एवं पंडित संजयजी शास्त्री कोटा के संचालन में जन्मकल्याणक संबंधी इंद्रलोक में इंद्रसभा एवं अयोध्या नगरी में राज्यसभा का आयोजन किया जाएगा । इन्द्र सभा में धर्मतीर्थ के प्रवर्तक बाल तीर्थंकर ऋषभदेव के जन्म के क्षण 100 धर्म इंद्र के कमपायेमान सिंहासन एवं इंद्रसभा का आल्हादकारी अद्भुत दृश्य दिखाए जाएंगे

धर्म तीर्थ के प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर बालक ऋषभदेव का जन्म महोत्सव आज, 1008 कलशों से होगा जन्माभिषेक

धर्म तीर्थ के प्रवर्तक प्रथम तीर्थंकर बालक ऋषभदेव का जन्म महोत्सव आज, 1008 कलशों से होगा जन्माभिषेक

जिसमे बाल तीर्थंकर के जन्म के क्षण देव गति के जीव ही नहीं अपितु मनुष्य गति के मानव, तिर्यंच गति के पशु-पक्षी एवं नरकगति के नारकी भी क्षण मात्र के लिए अपार शांति का अनुभव बताते हुए तीनों लोगों, चारों गतियों, छह खंडों मैं सर्वत्र खुशहाली प्रदर्शित की जाएगी ।

दोपहर 12,:30 बजे जन्म कल्याणक का भव्य जुलूस अयोध्या नगरी ढाई द्वीप से सुपर कारीडोर स्थित कृत्रिम पांडुक शिला तक निकालेगा । जिसमें सर्वप्रथम धर्मध्वज, धर्मचक्र तथा ऐरावत हाथी पर सौधर्मेंद्र के अतिरिक्त हेमेंद्र, महेंद्र, ईशान इंद्र आदि समस्त इंद्रगण जुलूस में रहेंगे । कुबेर इंद्र रत्नों की वर्षा करेंगे । सौधर्म इंद्र के रथ पश्चात हेमेंद्र का रथ, महेन्द्र का रथ, ईशान इंद्र का रथ, कुबेर का रथ इस प्रकार एक एक स्वर्ग के एक-एक प्रतिनिधि इंद्र 16 बगिया शामिल रहेगी ।

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पाण्डुशिला पर बाल तीर्थंकर का शुद्ध जल से भरे 1008 कलशों से जन्माभिषेक किया जाएगा । प्रतिष्ठाचार्य अभिनंदनजी शास्त्री ने व अखिल शास्त्री ने बताया की अभी तक आयोजित किसी भी पंचकल्याणक में 1008 कलशो से जन्माभिषेक नहीं किया गया। यह पंचकल्याणक सदी का ऐतिहासिक पंचकल्याणक है।