देश के प्रमुख बिजनेस हब जैसे गुजरात की गिफ्ट सिटी, दिल्ली की एयरो सिटी और मुंबई का बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स अब एक नए नाम की ओर इशारा कर रहे हैं- भोपाल। मध्यप्रदेश सरकार ने राजधानी भोपाल में एक अत्याधुनिक हाईटेक टाउनशिप विकसित करने का बड़ा प्रोजेक्ट तैयार किया है।
इस प्रोजेक्ट का मकसद केवल व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि यह एक रिहायशी और सर्व-सुविधायुक्त टाउनशिप के रूप में भी विकसित होगा, जहां बहुमंजिला आवासीय इमारतें, शॉपिंग सेंटर, हॉस्पिटल, स्कूल, और रिक्रिएशन स्पेस होंगे।

बीएचईएल की खाली पड़ी 2200 एकड़ जमीन पर बनेगी आधुनिक टाउनशिप
सरकार ने इस टाउनशिप के लिए भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) की खाली पड़ी 2200 एकड़ ज़मीन को चुना है। इसमें से 1600 एकड़ ज़मीन राज्य सरकार बीएचईएल से वापस लेगी, जबकि बाकी ज़मीन पर बीएचईएल के साथ मिलकर डेवलपमेंट किया जाएगा। यह ज़मीन दशकों से इस्तेमाल में नहीं लाई गई थी- 1964 में बीएचईएल की स्थापना के बाद भी कुल 6000 एकड़ में से सिर्फ 3000 एकड़ ज़मीन का ही उपयोग हो पाया है।
तेजी से बढ़ रहे अवैध कब्जे और बढ़ती रियल एस्टेट वैल्यू
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, बीएचईएल की ज़मीन का एक बड़ा हिस्सा करीब 764 एकड़ पर अतिक्रमण हो चुका है और 700 एकड़ पर निजी खेती की जा रही है। एम्स भोपाल के पास की ज़मीन पर भी अवैध निर्माण तेज़ी से हो रहे हैं, जिससे इसकी कीमतें भी आसमान छूने लगी हैं। ऐसे में इस ज़मीन का योजनाबद्ध तरीके से उपयोग करना न केवल ज़रूरी है बल्कि भविष्य के लिए लाभदायक भी साबित हो सकता है।
केंद्र से मिल गई हरी झंडी
चूंकि बीएचईएल केंद्र सरकार के भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन आता है, राज्य सरकार ने इस टाउनशिप प्रोजेक्ट का एक डिटेल प्रेजेंटेशन केंद्र को दिया, जिसमें भोपाल को मेट्रोपॉलिटन एरिया में बदलने के प्लान की रूपरेखा साझा की गई। इस मॉडल को सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। राजस्व मॉडल के तहत, ज़मीन के विकास से होने वाली कमाई का 50% हिस्सा राज्य सरकार और 50% बीएचईएल को मिलेगा।
आधुनिक टाउनशिप में क्या-क्या होगा?
यह टाउनशिप एक इंटीग्रेटेड प्लानिंग मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें आवासीय क्षेत्र के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, फूड कोर्ट, मॉल, मल्टीप्लेक्स, खेल परिसर और सुपरमार्केट जैसी सभी ज़रूरी सुविधाएं होंगी। सरकार की नई पॉलिसी के तहत डेवलपर्स को ज्यादा FAR (फ्लोर एरिया रेश्यो) दिया जाएगा, जिससे रिहायशी प्रोजेक्ट्स सस्ते दामों पर बन सकें।
मकान होंगे किफायती, आम जनता को मिलेगा फायदा
मध्यप्रदेश सरकार की इंटीग्रेटेड टाउनशिप पॉलिसी के अंतर्गत यह पहला बड़ा प्रोजेक्ट माना जा रहा है। इस मॉडल में डेवलपर को भारी पूंजी खर्च कर ज़मीन नहीं खरीदनी पड़ेगी, जिससे डिवेलपमेंट की लागत घटेगी और मकान आम जनता के लिए किफायती होंगे। सस्ती कीमतों पर मकान उपलब्ध कराकर सरकार आम लोगों को शहर में रहने का सुनहरा मौका देना चाहती है।
देश के चार बड़े शहरों का मॉडल बनेगा आधार
सरकार इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए बेंगलुरु, अहमदाबाद, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों के डेवलपमेंट मॉडल का अध्ययन कर रही है। इन शहरों की तरह ही यहां भी आईटी, फाइनेंस, हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट सेक्टर को शामिल किया जाएगा। केंद्र सरकार इसके लिए एक विशेष एजेंसी नियुक्त करेगी, जो तय करेगी कि किस सेक्टर का कितना हिस्सा होगा।