‘संगठन सृजन अभियान’ के मंच से राहुल ने भरी कार्यकर्ताओं में नई जान, बोले, कांग्रेस के पास चेहरे की कमी नहीं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश दौरे पर भोपाल में पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों के साथ बैठक कर संगठन सृजन अभियान की रणनीति पर चर्चा की। उन्होंने कार्यकर्ताओं को उत्साह दिया और नेतृत्व को लेकर उठाए सवाल पर कहा कि उनके पास 10 सक्षम नेता मौजूद हैं।

Abhishek Singh
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मंगलवार को मध्य प्रदेश के दौरे पर भोपाल पहुंचे। उन्होंने इंदिरा भवन में पार्टी के विधायकों और पदाधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें उन्होंने कार्यकर्ताओं को उत्साहवर्धक संदेश दिए। इस दौरान ‘संगठन सृजन अभियान’ की रणनीति पर चर्चा की गई, जिसका मकसद पार्टी की जमीनी ताकत को पुनः सक्रिय करना और कार्यकर्ताओं में जोश और उमंग भरना है। बैठक में एक विधायक ने कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर सवाल उठाया, जिस पर राहुल गांधी ने हँसते हुए जवाब दिया, “मेरे पास यहीं 10 सक्षम नेता मौजूद हैं।”

संगठन सृजन अभियान के जरिए ‘मिशन 2028’ की दिशा में प्रगति

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने बताया कि संगठन सृजन अभियान के माध्यम से कांग्रेस ने ‘मिशन 2028’ की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। राहुल गांधी से बातचीत के दौरान एक विधायक ने राज्य में कांग्रेस के लिए चुनावी नेतृत्व की कमी को लेकर सवाल उठाया। इस पर राहुल गांधी ने पूरी आत्मविश्वास से जवाब दिया कि मेरी दृष्टि में ऐसे 10 नेता हैं, जिनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव जीत सकती है। उन्होंने विधायक से कहा कि उनमें साहस होना चाहिए और सभी को व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर संगठन के हित में एकजुट होकर काम करना चाहिए।

सभी को मिलकर काम करने और समान अवसर देने पर जोर

विधायक बाला बच्चन ने बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी में एकजुटता और बेहतर नेटवर्किंग को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर काम करना होगा और समान अवसर सुनिश्चित करना आवश्यक है। राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए कि पार्टी को पंचायत से लेकर जिला स्तर तक सुदृढ़ बनाया जाए। उन्होंने नेताओं से अपील की कि केवल आलोचना करने के बजाय संगठन की मजबूती पर ध्यान केंद्रित करें। गौरतलब है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में लंबे समय से सत्ता से दूर है, और 2018 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार भी केवल 15 महीने तक ही टिक पाई थी।