10 सालों में इंदौर और भोपाल में हुई इन्वेस्टर समिट सहित विदेशी दौरों पर सरकार ने खर्च किए 2680000000, खुद सीएम ने दी जानकारी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि पिछले दस वर्षों में राज्य सरकार ने निवेशक सम्मेलनों और कार्यक्रमों पर 268 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इन खर्चों में मुख्यमंत्री की विदेश यात्राओं और विभिन्न शहरों में आयोजित समिट्स, रोड शोज़ और कॉन्क्लेव्स पर किए गए भारी खर्च शामिल हैं, जैसे 2023-24 में भोपाल जीआईएस पर 82 करोड़ रुपये।

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विधानसभा में बताया कि पिछले दस वर्षों में राज्य सरकार ने इंदौर और भोपाल में आयोजित किए गए निवेशक सम्मेलनों और उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए 268 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

यह राशि सिर्फ औद्योगिक नीति और निवेश प्रोत्साहन विभाग से जुड़ी है, जबकि अन्य विभागों जैसे पीडब्ल्यूडी, नगर निगमों और अन्य सरकारी एजेंसियों ने शहरों को सजा-संवारा और विकसित करने में भी करोड़ों रुपये खर्च किए हैं, हालांकि इन खर्चों का आंकड़ा सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री की विदेश यात्राओं का खर्च भी इसमें शामिल है।

CM Mohan Yadaw ने दिया उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के सवालों का जवाब

CM ने उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे के सवाल के जवाब में विधानसभा में यह जानकारी दी। 2015 में अमेरिका में मुख्यमंत्री के रोड शो और बिजनेस सेमिनार पर 2.46 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसके अलावा, 2015 में ही मुंबई और दिल्ली में उद्योगपतियों से वन-टू-वन मीटिंग्स पर 3.28 लाख रुपये, जापान और साउथ कोरिया में रोड शो पर 1.44 करोड़ रुपये, और मेक इन इंडिया रोड शो के लिए अमेरिका में 3.39 लाख रुपये खर्च किए गए।

2016 में भी रही खर्चों की लम्बी सूची

2016 में सिंगापुर में रोड शो पर 71.78 लाख रुपये, और जून में रोड शो और बिजनेस सेमिनार पर 1 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए। इसी तरह, अगस्त 2016 में यूएसए में रोड शो और बिजनेस मीट पर 1.53 करोड़ रुपये खर्च किए गए।

इंदौर में आयोजित इंवेस्ट समिट पर खर्च हुए 16.85 करोड़

वर्ष 2022 में सरकार ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मुंबई, दिल्ली, पुणे, बैंगलोर जैसे प्रमुख शहरों में सेमिनार आयोजित किए, जिन पर करीब 3 करोड़ रुपये खर्च हुए। लेकिन इसके बाद, 2023 और 2024 में आयोजित कार्यक्रमों पर खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई।

11-12 जनवरी 2023 को इंदौर में आयोजित इंवेस्ट मप्र-ग्लोबल समिट पर 15.65 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके बाद, उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव 2024 पर 14.23 करोड़ रुपये, जबलपुर में 10 करोड़ रुपये, ग्वालियर में आयोजित कॉन्क्लेव पर 12.29 करोड़ रुपये और सागर में हुए कॉन्क्लेव पर 16 करोड़ रुपये खर्च हुए।

मुख्यमंत्री की यूके, लंदन और जर्मनी यात्रा पर 11 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि नर्मदापुरम में रीजनल कॉन्क्लेव पर 10 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसके अलावा, 27 जनवरी से 1 फरवरी तक जापान यात्रा पर 7.31 करोड़ रुपये का खर्च आया। दिल्ली में 12 फरवरी 2024 को आयोजित इंटरएक्टिव सत्र पर 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च हुए, और भोपाल में 24-25 फरवरी को आयोजित जीआईएस पर सरकार ने 82.31 करोड़ रुपये खर्च किए।

भोपाल GIS पर 82 करोड़ रुपये का व्यय

वर्ष 2022 में सरकार ने मुंबई, दिल्ली, पुणे, बैंगलोर जैसे प्रमुख शहरों में इंवेस्टर सेमीनार आयोजित किए, जिन पर लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च किए गए। लेकिन इसके बाद, 2023 और 2024 में हुए कार्यक्रमों में खर्च की राशि में जबरदस्त वृद्धि हुई। 11-12 जनवरी 2023 को इंदौर में आयोजित इंवेस्ट मप्र-ग्लोबल समिट पर 15.65 करोड़ रुपये खर्च हुए, जबकि उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव पर 14.23 करोड़ रुपये का खर्च आया। जबलपुर और ग्वालियर में आयोजित कॉन्क्लेव में 10 करोड़ और 12.29 करोड़ रुपये खर्च हुए।

सागर में हुए कॉन्क्लेव पर 16 करोड़ रुपये खर्च हुए, वहीं मुख्यमंत्री की यूके, लंदन और जर्मनी यात्रा पर 11 करोड़ रुपये की राशि खर्च हुई। नर्मदापुरम में रीजनल कॉन्क्लेव पर 10 करोड़ रुपये और जापान यात्रा पर 7.31 करोड़ रुपये का खर्च हुआ। दिल्ली में 12 फरवरी 2024 को आयोजित इंटरएक्टिव सत्र पर 1 करोड़ 40 लाख रुपये खर्च किए गए, और 24-25 फरवरी को भोपाल में आयोजित जीआईएस पर सरकार ने 82.31 करोड़ रुपये खर्च किए।