आओ राजनीति करें पॉलिटिक्सवाला पोस्ट के साथ

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By Mohit DevkarPublished On: March 20, 2021

कठिन समय में कठिन फैसले यादगार बन जाते हैं। हिंदुस्तान में प्रिंट मीडिया जिस खराब दौर से गुजर रहा है, जब साप्ताहिक अखबार फाइल काफी हो गए हैं। ऐसे दौर में एक नौकरी पेशा पत्रकार के लिए एक विशेष तरह का अखबार वह भी साप्ताहिक निकालना वाकई चुनौती है। इस चुनौती को स्वीकार किया है जाने-माने युवा पत्रकार पंकज मुकाती ने। जो अभी तक दूसरे अखबारों के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देते थे। अब नौकरी करते करते थक गए। खुद का अखबार निकालने की इच्छा थी।


आओ राजनीति करें पॉलिटिक्सवाला पोस्ट के साथ

जब पंकज से मुलाकात हुई तो उनसे पूछा क्या साप्ताहिक अखबार लोग खरीदेंगे, कैसे निकलेगा खर्चा जब सप्ताहिक अखबार ही लोग नहीं पढ़ते हैं, तो फिर साप्ताहिक ही क्यों निकाला जा रहा है, और वह भी ऐसे विषय पर जिसको लेकर लोग मुंह बनाने लग जाते हैं। तो एक ही जवाब था कोई तो कुछ करे। मुझे उम्मीद ही लोग अखबार पसंद करेगे। पंकज ने कठिन दौर में चुनौती ही नहीं बल्कि एक बड़ा प्रयोग कर दिखाया। पंकज का अखबार पॉलिटिक्सवाला पोस्ट बाजार में आ गया है। पहले अंक को पसंद किया गया दूसरा भी आ गया। लगता है अब सिलसिला लगातार चलता रहेगा। इंदौर ही नहीं भोपाल ग्वालियर जबलपुर के साथ-साथ छोटे जिलों में भी पॉलिटिक्सवाला पोस्ट अखबार को पहुंचाने की जुगत में पंकज लगे हैं। पंकज ने पूरे 16 पन्ने के अखबार को दुल्हन की तरह सजाया है। हेडिंग कैसा होना चाहिए, कार्टून कैसा लगना चाहिए, कैरीकेचर कैसा बनना चाहिए, फोटो कौन सा होना चाहिए, आर्टिकल कैसे होना चाहिए और इन सबसे बड़ी बात अखबार हाथ में लो तो वह ताजा और खबरों से भरपूर कैसे दिखे। इसमें अपनी पूरी ऊर्जा मुकाती ने खर्च कर दी।

पंकज ने पॉलिटिक्स वाला पोस्ट अखबार के हेडर के साथ लिखा है आओ राजनीति करें, अच्छा लगता है पढ़कर। उसके साथ साथ उन्होंने दावा किया कि हम नेता की नहीं नीति की बात करेंगे। यह बात भी अच्छी है हर दल और उसके नेता की क्या नीति होना चाहिए उसी से जनता का फायदा – नुकसान होता है। सरकार हर दल की बनती है लेकिन जब तक नीति जनता के हित की नहीं होती तब तक उसका कोई मतलब नहीं है। साप्ताहिक अखबार निकालने के साथ यह विचार भी सामने आया था कि आजकल अखबार कौन पढ़ता है। सोशल मीडिया और वेबसाइट का जमाना है। लोगों के पास वक्त नहीं है। बड़ी खबरें या लेख पढ़ने के लिए।

उन सबको दरकिनार करते हुए पंकज ने तय किया कि वह ऐसा अखबार निकालेंगे जो न केवल पढ़ने लायक होगा, बल्कि पढ़ने वाला पाठक दूसरों को भी पढ़ने के लिए कहेगा। पंकज के पहले अंक में संपादकीय को आखिरी पेज पर जगह दी, जब उनसे सवाल लोगों ने किया तो कहने लगे की पहले खबर, फिर पाठक और अंत में संपादक। खबर और पाठक को हमेशा आगे रखेंगे, ऐसा विश्वास बनता है। सोलह पेज का कलर और डिजाइन से भरपूर पॉलिटिक्सवाला पोस्ट निरंतर आगे बढ़ता रहे यह हर कोई चाहता है। पंकज भाई आपको बधाई। आपने वह काम कर दिखाया जो कोई नहीं कर सका। शायद हिंदुस्तान का पहला ऐसा अखबार होगा जिसमें सिर्फ राजनीति की बात होगी और उसमें भी राजनेता की कम नीति की बात ज्यादा होगी। इसके साथ ही एक और बात राजनीति के अखबार की शुरुआत किसी राजनेता या भव्य समारोह के साथ नहीं की। यह भी पंकज की अच्छी बातों में शुमार है। एक बार फिर शुभकामनाओं के साथ। राजेश राठौर