ट्रेन से तकिया-कंबल चुराना पड़ सकता हैं भारी! मिलती हैं ये सजा

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By Meghraj ChouhanPublished On: February 27, 2025
Indian Railway

Indian Railways : भारतीय रेलवे, यात्रियों को लंबी और छोटी दूरी की यात्रा के लिए एक महत्वपूर्ण परिवहन सुविधा प्रदान करती है। चाहे यात्रा जनरल डिब्बे में हो या एसी डिब्बे में, आरामदायक यात्रा के साथ-साथ कई सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं। विशेष रूप से एसी कोच में यात्रा करने वाले यात्रियों को बेड रोल की सुविधा मिलती है, जिसमें दो चादरें, एक कंबल और एक तकिया शामिल होता है। हालांकि, इन सुविधाओं का फायदा कुछ यात्री अनुचित तरीके से उठाते हैं और बेड रोल के आइटम चुरा लेते हैं, जिससे रेलवे को नुकसान होता है।

रेलवे द्वारा प्रदान किए गए बेड रोल का उद्देश्य यात्रा के दौरान यात्रियों को आरामदायक अनुभव देना है। लेकिन यात्रा के बाद इन आइटम्स को लौटाना या अपनी सीट पर सुरक्षित रखना यात्री की जिम्मेदारी होती है। दुर्भाग्यवश, कई बार यात्री चादर, कंबल और तकिए जैसे आइटम्स चोरी कर लेते हैं। 2017-18 में पश्चिम रेलवे से बड़ी संख्या में बेड रोल आइटम्स चोरी हुए थे, जिनमें 1.95 लाख तौलिए, 81,736 चादरें, 5,038 तकिए, 55,573 तकिए के कवर और 7043 कंबल शामिल थे।

क्या हैं सजा का प्रावधान ?

ट्रेन से तकिया-कंबल चुराना पड़ सकता हैं भारी! मिलती हैं ये सजा

अगर कोई यात्री गलती से या जानबूझकर रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए बेड रोल आइटम्स को अपने साथ ले जाता है, तो इसके लिए कानूनी कार्रवाई हो सकती है। भारतीय रेलवे संपत्ति अधिनियम, 1966 के तहत, चोरी किए गए सामान के साथ पहली बार पकड़े जाने पर एक साल की कैद या 1000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। इसके अलावा, अगर चोरी गंभीर रूप से की जाती है या लगातार किया जाता है, तो जुर्माने के साथ पांच साल तक की सजा का प्रावधान भी है।

रेलवे ही नहीं बल्कि कर्मचारियों को भी होता हैं नुकसान

यह चोरी केवल रेलवे को ही नुकसान नहीं पहुंचाती, बल्कि इसके लिए कर्मचारियों को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है। चुराए गए सामान के लिए कर्मचारियों के वेतन से पैसे काटे जाते हैं, जिससे उनका आर्थिक नुकसान होता है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि यात्रियों को बेड रोल का उपयोग करते समय अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और यात्रा समाप्त होने के बाद उसे रेलवे कर्मचारियों को सौंप दें या अपनी सीट पर सुरक्षित रखें।