खाड़ी से आई पूंजी की बाढ़, इन 5 मुस्लिम देशों से भारत में आया अरबों का निवेश, RBI की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को विदेशों से कुल 118.7 अरब डॉलर प्राप्त हुए, जिसमें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों की हिस्सेदारी 38% रही। यानी, UAE, सऊदी अरब, कतर, ओमान और बहरीन से भारत को लगभग 45.10 अरब डॉलर (3,896.3 बिलियन रुपये) मिले।

Abhishek Singh
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भारत में हर साल विदेशों से आने वाले धन और इसके स्रोत देशों को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। दरअसल, यही धनराशि यह दर्शाती है कि विदेशों में भारतीय प्रवासियों की संख्या कितनी है। इस संदर्भ में, RBI ने अपनी बुलेटिन में ताजा आंकड़े जारी किए हैं, जिनके अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को कुल 118.7 अरब डॉलर प्राप्त हुए।

इन खाड़ी देशों से आ रहा है सबसे ज्यादा पैसा

RBI बुलेटिन 2025 के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को प्राप्त कुल धनराशि में खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के देशों—संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर, ओमान और बहरीन—की हिस्सेदारी लगभग 38% रही। यानी, भारत को मिले कुल 118.7 बिलियन डॉलर में से 38% रकम इन खाड़ी देशों से आई। यदि इस आंकड़े की गणना करें, तो यह लगभग 45.10 बिलियन डॉलर बनता है। इसे भारतीय मुद्रा में परिवर्तित करने पर यह राशि लगभग 3,896.3 बिलियन रुपये होती है।

विदेशी फंडिंग में नंबर वन देश कौन?

खाड़ी देशों में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भारत को धन भेजने के मामले में शीर्ष स्थान पर है। यानी, अन्य खाड़ी देशों की तुलना में यूएई में रहने वाले प्रवासी भारतीय सबसे अधिक पैसा अपने देश भेजते हैं। गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत को प्राप्त कुल रेमिटेंस में यूएई की हिस्सेदारी 18% थी, जो 2023-24 में बढ़कर 19.2% हो गई। दरअसल, यूएई भारतीय प्रवासी श्रमिकों के लिए सबसे बड़ा केंद्र बना हुआ है। यहां अधिकांश प्रवासी निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, हॉस्पिटैलिटी और पर्यटन क्षेत्र में कार्यरत हैं।

हालांकि संयुक्त अरब अमीरात खाड़ी देशों में धन प्रेषण के मामले में शीर्ष पर है, लेकिन अगर वैश्विक स्तर पर देखा जाए तो इस सूची में अमेरिका पहले स्थान पर आता है। यानी, भारत को विदेशों से मिलने वाले कुल धन में सबसे बड़ा योगदान अमेरिका का है। RBI के मार्च 2025 बुलेटिन, ‘भारत के प्रेषण की बदलती गतिशीलता’, के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में भारत को प्राप्त कुल रेमिटेंस का 27.7% हिस्सा अमेरिका से आया, जबकि 2020-21 में यह हिस्सेदारी 23.4% थी।