छत्तीसगढ़ में रेल विकास की बड़ी सौगात, 8 जिलों में बनेगी 615 KM नई लाइनें और 21 स्टेशन, किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

छत्तीसगढ़ में खैरागढ़ से परमलकासा तक 615 किलोमीटर लंबी नई मल्टीट्रैक रेलवे लाइन बिछाई जाएगी, जिससे 8 जिलों को जोड़ते हुए 21 स्टेशन बनाए जाएंगे। इस परियोजना से राज्य में परिवहन, व्यापार, रोजगार और किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी, और इसे 2030-31 तक पूरा करने का लक्ष्य है।

Srashti Bisen
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छत्तीसगढ़ राज्य में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूती देने की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल की जा रही है। राज्य में खैरागढ़ से परमलकासा तक कुल 615 किलोमीटर लंबी नई मल्टीट्रैक रेलवे लाइन बिछाई जाएगी, जिसकी लंबाई 278 किलोमीटर रूट के अंतर्गत होगी।

इस परियोजना को छत्तीसगढ़ की परिवहन व्यवस्था में क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जो राज्य को न केवल राष्ट्रीय रेल नेटवर्क से बेहतर ढंग से जोड़ेगी, बल्कि स्थानीय विकास, व्यापार और रोजगार के नए रास्ते भी खोलेगी।

21 नए रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे

इस महत्वाकांक्षी रेल परियोजना के अंतर्गत कुल 21 नए रेलवे स्टेशन बनाए जाएंगे। परियोजना की भव्यता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके तहत 48 बड़े पुल, 349 छोटे पुल, 14 रेलवे ओवरब्रिज, 184 रेलवे अंडरब्रिज, और 5 रेलवे फ्लाईओवर का निर्माण किया जाएगा। यह न केवल एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की दूरी को भी कम करेगी।

मिलेंगी आधुनिक और हाईटेक सुविधाएं

इस नई रेल लाइन पर कुछ स्टेशनों को एयरपोर्ट की तर्ज पर ‘अमृत स्टेशन’ के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां यात्रियों को आधुनिक और हाईटेक सुविधाएं मिलेंगी। इससे यात्रियों का सफर अधिक आरामदायक और सुविधाजनक हो जाएगा। रेलवे स्टेशन न केवल यात्रा के लिए उपयोगी होंगे, बल्कि स्थानीय छोटे व्यवसायों को भी बढ़ावा देंगे।

8 प्रमुख जिलों को सीधे जोड़ा जाएगा

इस रेल लाइन के तहत छत्तीसगढ़ के 8 प्रमुख जिलों को सीधे जोड़ा जाएगा। इसमें शामिल हैं – रायगढ़, जांजगीर-चंपा, सक्ती, बिलासपुर, बलौदाबाजार, रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव। इस रूट पर बनने वाले प्रमुख रेलवे स्टेशनों में खरसिया, नया रायपुर, सक्ती, पाटन, बालोद, अभनपुर, लखौली, डोंगरगढ़, भिलाई, भिलाई नगर, करगी रोड, धमतरी और परमलकासा शामिल हैं। इन स्टेशनों से हजारों की संख्या में गांवों और कस्बों के लोग लाभान्वित होंगे।

लागत और समयसीमा

इस विशाल परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 18,658 करोड़ रुपये है। इसमें से खरसिया-परमलकासा रूट पर अकेले 8,741 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यह परियोजना वर्ष 2030-31 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके पूरा होते ही छत्तीसगढ़ की कुल रेलवे कनेक्टिविटी 30 प्रतिशत से बढ़कर लगभग 60-70 प्रतिशत तक हो जाएगी।

किसानों और स्थानीय लोगों को फायदा

रेल परियोजना से किसानों को भी सीधा लाभ मिलेगा। रेलवे लाइन के लिए जिन किसानों की भूमि अधिग्रहित की जाएगी, उनके जमीन के दामों में वृद्धि होगी और उन्हें मुआवजे के रूप में अच्छा आर्थिक लाभ मिलेगा। इससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर होगी और क्षेत्र में समृद्धि का मार्ग खुलेगा।

व्यापार और लॉजिस्टिक सेक्टर को मिलेगा बढ़ावा

यह परियोजना छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र से सीधे जोड़ने में मदद करेगी, जिससे दोनों राज्यों के बीच माल ढुलाई और यात्री परिवहन की सुविधा बेहतर होगी। इस रूट के जरिए प्रति वर्ष 21-38 मिलियन टन कार्गो और 8 मेल, एक्सप्रेस तथा सेमी हाई-स्पीड ट्रेनें चलाई जाएंगी। इसके चलते लॉजिस्टिक लागत में लगभग 2520 करोड़ रुपये की बचत होगी और सालाना 22 करोड़ रुपये के डीजल की बचत भी अनुमानित है।

नवीन उद्योगों और रोजगार को मिलेगा प्रोत्साहन

बलौदाबाजार जैसे क्षेत्रों में इस रेल लाइन के जरिए सीधी कनेक्टिविटी मिल जाने से नए उद्योग और सीमेंट प्लांट स्थापित किए जा सकेंगे। इससे न केवल राज्य के बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर हजारों लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। परिवहन की सुलभता से इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।