किसानों को बड़ी सौगात, MSP पर खरीदी की नई उपार्जन नीति लागू, गड़बड़ी मिलने पर तुरंत होगी कार्रवाई

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By Pinal PatidarPublished On: November 19, 2025

मध्यप्रदेश सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान, ज्वार और बाजरा जैसी प्रमुख फसलों की नई उपार्जन नीति जारी कर दी है। इस बार भी फसलों की खरीदी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आधार पर की जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि केवल औसत और अच्छी गुणवत्ता की उपज ही खरीदी जाएगी। धान की खरीदी 1 दिसंबर से शुरू होकर 20 जनवरी 2026 तक चलेगी। वहीं ज्वार और बाजरा की खरीदी 24 नवंबर से 24 दिसंबर के बीच की जाएगी। खास बात यह है कि ज्वार और बाजरा की खरीद सप्ताह में पांच दिन (सोमवार से शुक्रवार) ही होगी। मुख्यमंत्री ने नीति लागू करते समय साफ निर्देश दिया कि किसी भी तरह की लापरवाही पर तत्काल सख्त कार्यवाही होगी।

कलेक्टर, वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन और आपूर्ति निगम को मिले कड़े आदेश



नई उपार्जन नीति लागू करने के बाद सरकार ने सभी कलेक्टरों, नागरिक आपूर्ति निगम और वेयरहाउसिंग कॉर्पोरेशन के अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित किया है कि नीति का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराया जाए। सरकार का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य किसानों को अधिकतम आर्थिक लाभ उपलब्ध कराना है। इसलिए खरीदी प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की अनियमितता, देरी या लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी की ओर से उपार्जन कार्य में चूक पाई जाती है, तो उसके खिलाफ तत्काल एक्शन लिया जाएगा।

एमएसपी का पूरा विवरण: धान, ज्वार और बाजरा के दाम तय

केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए समर्थन मूल्य के अनुसार—
• सामान्य धान: ₹2369 प्रति क्विंटल
• धान ग्रेड A: ₹2389 प्रति क्विंटल
• ज्वार मालदण्डी: ₹3749 प्रति क्विंटल
• ज्वार हाइब्रिड: ₹3699 प्रति क्विंटल
• बाजरा: ₹2775 प्रति क्विंटल

धान उपार्जन में इस बार 46% पुराने जूट बैग और 54% नए जूट बैग का उपयोग किया जाएगा। वहीं ज्वार और बाजरा की खरीदी में पूरी तरह नए जूट बैग ही इस्तेमाल किए जाएंगे। इससे भंडारण और परिवहन में गुणवत्ता बनाए रखने में आसानी होगी।

किसान ऐसे बेच सकेंगे उपज, स्लॉट बुकिंग अनिवार्य

किसानों के लिए खरीदी प्रक्रिया को व्यवस्थित रखने के लिए राज्य सरकार ने स्लॉट बुकिंग को अनिवार्य किया है। किसान पंजीयन में दर्ज फसल रकबा, तहसीलवार उत्पादकता और निर्धारित मानक के आधार पर यह तय किया जाएगा कि कोई किसान कितनी अधिकतम उपज बेच सकेगा। किसानों को अपनी सुविधा के अनुसार उपार्जन केंद्र चुनकर तारीख और समय स्लॉट बुक करना होगा। खरीदे गए अनाज को उपार्जन केंद्र से गोदाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उपार्जन एजेंसी की होगी। वहीं धान को गोदाम से मिल तक पहुंचाने का काम मिलर्स स्वयं करेंगे।