कुपोषण के खिलाफ इंडेक्स मेडिकल कॉलेज ने शुरू की जंग, हुई 90 बच्चों की निशुल्क जांच

Akanksha
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इंदौर 4 फरवरी 2021 : कुपोषण के खिलाफ देश भर में अलग-अलग तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। इस अभियान में अपनी भूमिका निभाते हुए इंडेक्स मेडिकल कॉलेज, अस्पताल और रिसर्च सेंटर द्वारा निशुल्क जांच शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर में 18 साल तक के बच्चों का परीक्षण कर उनके स्वास्थ्य और बीमारियों का आंकलन किया गया। जो बच्चे ज्यादा कमजोर और गंभीर पाए गए उन्हें अस्पताल लाकर इलाज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

शिशु रोग विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक व डीन डॉ. जीएस पटेल ने बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता लाने के लिए हमारे अस्पताल की टीम डबलचौकी के पास स्थित ग्राम रूपेटा गई और वहां शिविर आयोजित किया गया। इसमें 18 साल तक के 90 बच्चों की जांच की गई और अलग-अलग मानकों को ध्यान में रखकर स्वास्थ्य संबंधी सलाह दी गई।

10 प्रतिशत कुपोषण के शिकार, 20 प्रतिशत में एनीमिया

डॉ. स्वाति प्रशांत ने बताया कि पोषण की कमी के कारण बच्चों में एनीमिया और इसी तरह की कई बीमारियों का होना आम है। इनके कारण बच्चे का विकास नहीं हो पाता और पालकों की छोटी-छोटी गलतियों के कारण उसे जिंदगी भर बड़ी सजा भुगतना पड़ती है। इससे जुड़ी जानकारी देने के लिए ही शिविर रखा गया और पालकों को बेहतर पोषण देेने के लिए प्रेरित कर जागरुकता लाने की कोशिश की गई। शिविर में 10 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार पाए गए और 20 प्रतिशत में एनीमिया मिला है। इन्हीं के साथ मानसिक विकलांगता, दृष्टि दोष, थैलेसीमिया और अन्य समस्याएं भी पाई गई हैं। मौके पर सलाह देने के बाद इन्हें अस्पताल लाकर इलाज किया जाएगा। कुछ इलाज निशुल्क होगा जबकि कुछ जांचें व इलाज नाम मात्र शुल्क पर होगा।

डीन के साथ कई डॉक्टरों ने दिया जागरुकता का संदेश

गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्र के कई परिवारों में बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति गंभीरता नहीं होती और इसी कारण बच्चे बड़ी बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. जीएस पटेल ने पालकों को इसके बारे में जानकारी दी अैर सावधानी रखने के लिए प्रेरित किया। इस मौके पर सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुराग मोहता, डॉ. किशन राजावत, डॉ. पलक विनायका व अन्य पदाधिकारी और डॉक्टर्स मौजूद थे। शिविर में पालकों कों आयुष्मान कार्ड बनवाने और शासन की अन्य योजनाओं का जानकारी भी दी गई ताकि वे निशुल्क अथवा सस्ते इलाज का लाभ लेकर खुद को स्वस्थ रख सके।