इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर केविन पीटरसन ने भारतीय बल्लेबाज पृथ्वी शॉ की प्रतिभा की सराहना की है, लेकिन उन्हें इस बात की सलाह दी है कि यदि वह फिर से क्रिकेट में सफलता हासिल करना चाहते हैं तो उन्हें अपनी ऊर्जा फिट रहने और अपने खेल पर ध्यान केंद्रित करने में लगानी चाहिए। पीटरसन ने यह भी कहा कि शॉ को सोशल मीडिया से दूरी बनानी चाहिए क्योंकि इससे उनका ध्यान भटक सकता है।
पृथ्वी शॉ का करियर और वर्तमान स्थिति
पृथ्वी शॉ ने किशोरावस्था में ही टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाकर सबको हैरान किया था। लेकिन 25 साल की उम्र में शॉ अपने करियर के एक कठिन मोड़ पर खड़े हैं। हाल ही में हुए आईपीएल 2025 की नीलामी में कोई भी टीम शॉ को 75 लाख रुपये के आधार मूल्य पर खरीदने में रुचि नहीं दिखा पाई। शॉ का प्रदर्शन भी पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव से भरा रहा है, और वह अब तक अपनी प्रतिभा के अनुसार उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए हैं।
हाल ही में, शॉ को अधिक वजन और फिटनेस की कमी के कारण मुंबई रणजी टीम से बाहर कर दिया गया था। हालांकि, उन्होंने सैयद मुश्ताक अली टी20 टूर्नामेंट में वापसी की, लेकिन अब तक उनका प्रदर्शन प्रभावशाली नहीं रहा है। उनकी स्थिति पर भारत के पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि शॉ का मैदान के बाहर का व्यवहार उनके खेल को प्रभावित कर रहा है।
पैसे और ग्लैमर ने करियर को किया प्रभावित
दिल्ली कैपिटल्स के पूर्व टैलेंट स्काउट और सहायक कोच प्रवीण आमरे ने पृथ्वी शॉ के करियर के गिरने का कारण उनके जल्दी मिले पैसों और ग्लैमर को बताया। आमरे के अनुसार, शॉ ने 23 साल की उम्र तक 30-40 करोड़ रुपये कमा लिए थे, जो शायद एक युवा खिलाड़ी के लिए इस मुकाम पर पहुंचने से पहले बहुत अधिक था। आमरे ने यह भी कहा कि जब कोई युवा खिलाड़ी इतनी बड़ी रकम कमाता है, तो उसे अपने अनुशासन और ध्यान को बनाए रखना कठिन हो जाता है।
आमरे ने शॉ को विनोद कांबली का उदाहरण दिया था, जो क्रिकेट में अपनी प्रतिभा के बावजूद अनुशासन की कमी के कारण एक बड़ी करियर की ऊंचाई नहीं हासिल कर पाए थे, लेकिन यह सलाह शॉ के लिए प्रभावी साबित नहीं हुई। उन्होंने यह भी कहा कि शॉ के खेल में वापसी की भूख कम हो गई है और उनका प्रदर्शन उतना प्रभावशाली नहीं रहा।
प्रवीण आमरे ने कहा कि यह बहुत निराशाजनक है कि शॉ जैसी प्रतिभा विपरीत दिशा में जा रही है। उन्होंने बताया कि शॉ ने सैयद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी के लिए मुंबई रवाना होने से पहले क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया में अभ्यास मैच में शानदार शतक बनाया था, लेकिन फिर भी वह अपने करियर में आगे नहीं बढ़ पाए। आमरे ने बताया कि शॉ का उदाहरण भारतीय क्रिकेट में एक केस स्टडी हो सकता है, जो इस बात का संदेश देता है कि केवल प्रतिभा से शीर्ष तक पहुंचना संभव नहीं है। इसके लिए अनुशासन, दृढ़ संकल्प और समर्पण की जरूरत होती है।