इंदौर(Indore) : मेयर की शपथ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नहीं आए तो अफसरों ने कार्यक्रम लावारिस छोड़ दिया। इस कारण मंच से लेकर हाल तक पूरे समय अराजकता रही। कई बार धक्का-मुक्की और अव्यस्था के कारण लोग ढंग से बैठ तक नहीं पाए। शपथ समारोह जिला प्रशासन ने आयोजित किया था। वहां पर बैठने के लिए मंच के सामने पहली लाइन वीआईपी के लिए थी। उसके बाद दूसरी लाइन से लगे सोफे पर हर पार्षदों के वार्ड नंबर लिखे हुए थे, जबकि कांग्रेस के पार्षदों ने इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया था।
कार्यक्रम पांच बजे शुरू होना था, लेकिन तब तक लोग आना शुरू हुए थे। पार्षद भी साढ़े पांच बजे तक आते रहे। गेट पर धक्का-मुक्की और भीड़ होने के कारण पार्षद अंदर आने के लिए परेशान होते रहे। महिला पार्षदों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। पार्षदों की जगह पर नेता और कार्यकर्ता बैठ गए उनको उठाना मुश्किल था। पार्षदों से कहा गया कि वह अपनी सीट पर ही बैठे। मंच पर संचालन करने के लिए सरकारी कार्यक्रम के हिसाब से महिला कर्मचारी की ड्यूटी थी, लेकिन उसके अलावा भाजपा के प्रवक्ता उमेश शर्मा ने भी माइक अपने हाथ में थाम लिया।
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वह बार-बार बोल रहे थे कि ढोलक बजाना बंद करो, पार्षदों की जगह पर जो लोग बैठे हैं वह उठ जाए, लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं था। नगर निगम के कुछ कर्मचारी सक्रिय हुए। बड़ी मुश्किल से पार्षदों को उनकी सीट पर बिठाया गया। पार्षदों के पीछे आमंत्रण पत्र के आधार पर बैठने के लिए लोगों के लिए लगाई गई कुर्सियों पर भी कार्यकर्ता बैठ गए। कार्यकर्ताओं के लिए गैलरी में बैठने की व्यवस्था की थी। हालत यह हो गई कि चारों तरफ से कार्यकर्ता आए थे और कोई उनको रोकने टोकने वाला नहीं था।
पुलिस का इंतजाम भी ना के बराबर था। प्रशासन का कार्यक्रम था, इसलिए नगर निगम ने भी ध्यान नहीं दिया। जैसे तैसे कार्यक्रम शुरू हुआ। तो हालत यह हुई कि मंच पर ही पचास से ज्यादा फालतू लोग बैठ गए। मेरे साथ आए कार्यकर्ता भी मंच पर चढ़ गए। मेयर को खुद को मंच पर चढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ा। संभाग आयुक्त पवन शर्मा, कलेक्टर मनीष सिंह और नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल आए तो बड़ी मुश्किल से मंच पर चढ़े, क्योंकि मंच के दोनों तरफ बनी सीढियों के आसपास भारी भीड़ थी। इसी कारण मेयर की शपथ दिलाने में परेशानी हुई।
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मेयर की शपथ के बाद पार्षदों को शपथ कैसे लेना है यह बताने के लिए कलेक्टर को बार-बार बोलना पड़ा। बीच-बीच में नारेबाजी के कारण भी कार्यक्रम में व्यवधान हुआ। अफसर शपथ दिलाकर रवाना हो गए। उसके बाद मेयर का भाषण हुआ। उसके पहले मंत्री तुलसी सिलावट को बोलना पड़ा कि लंबा भाषण ना दें। मंत्री भूपेंद्र सिंह तो कम ही बोले, लेकिन बीडी शर्मा ने थोड़ा बड़ा भाषण दिया। उस दौरान भी मंच पर अफरा-तफरी मची रही। शर्मा के आसपास इतनी भीड़ लग गई थी कि उनको बार-बार धक्का लग रहा था। जैसे तैसे कार्यक्रम हुआ और बड़े नेता सब चले गए। मेयर के साथ पार्षद और उनके समर्थक अपने फोटो खिंचवाने के लिए धक्का-मुक्की करते रहे।
स्वागत के दौरान मेयर मंच छोड़कर सामने बैठे लोगों से मिलने चले गए मेयर ने सफाई कर्मचारी महिलाओं के पेड़ पैर पड़े। जस्टिस पीयूष माथुर, पदम जनक पलटा जैसे कई दिग्गजों के मेयर ने पैर छुए। उसके बाद मेयर वापस मंच पर गए। मेयर के आसपास कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त धक्का मुक्की की तो कई लोग नाराज होकर कार्यक्रम से चले गए। इसी बीच गैलरी भी खाली हो गई। 6000 नाश्ते के पैकेट बांटे गए। जिसको लेने के लिए भी कार्यकर्ताओं ने धक्का-मुक्की की। कुल मिलाकर कार्यक्रम अव्यवस्थाओं से भरपूर था, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नहीं आए तो प्रशासन से लेकर नगर निगम के अफसरों ने कार्यकर्ताओं के भरोसे हाल कर दिया था।