अलग ही किस्म के अधिकारी रहे हैं आईएएस डॉ वरदमूर्ति मिश्रा, अब बनाएंगे राजनीतिक पार्टी

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चंद्रशेखर शर्मा। डॉक्टर वरदमूर्ति मिश्रा चंद दिनों पहले तक प्रदेश में आईएएस अधिकारी होते थे। एकाएक इन्होंने अच्छी-खासी नौकरी को नमस्ते (वीआरएस) किया और दो दिन पहले राजधानी भोपाल में बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस ली। उसमें ऐलान किया कि वो प्रदेश में नयी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे ! जाहिर है जिगरे की बात है। थोड़े दिन पहले अपने इंदौर में चर्चा थी कि कलेक्टर मनीष सिंह इंदौर से महापौर चुनाव लड़ सकते हैं और अब चर्चा है कि वो यहां से अगला लोकसभा चुनाव लड़ते दिख सकते हैं ! बेपर की उड़ाने में क्या लगता है ? यों मिश्रा की चर्चा इसलिए है कि ये भी इंदौर में बरसों एसडीएम रहे हैं। तब अपनी इनसे इनके दफ्तर में अकसर चर्चा होती थी और वरिष्ठ पत्रकार साथी मोहन नरवरिया से इनकी जरा ज्यादा ही घुटती थी।

बहरहाल मिश्रा जुदा किस्म के अधिकारी रहे। तब इनके कई किस्से सुनने को मिलते थे और उनके मुताबिक यह किसी कलेक्टर से लेकर सरकार से भी पंगा लेने में पीछे नहीं रहते थे। उसका खामियाजा भी इन्होंने भुगता। पिछली जनवरी में ही इन्हें आईएएस अवॉर्ड हुआ था और अभी कई सालों की नौकरी बाकी थी, लेकिन छब्बीस साल की नौकरी के बाद इन्होंने बेझिझक वीआरएस ले लिया। जब कमलनाथ प्रदेश के सीएम थे तब यही मिश्रा उनके ओएसडी भी रहे। जो हो। अब उन्होंने तय किया है कि वो खुद की पार्टी बनाएंगे। अपने पास इनकी जन्म कुंडली नहीं है। होती तो किसी जानकार को दिखाते और पूछकर आपको बताते कि मिश्रा को यह क्यों सूझी और आईन्दा उनके सितारे क्या कह रहे हैं ?

खो और जवाब

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव का यह बयान तो आपको याद होगा ही कि मुख्यमंत्री पार्टी कार्यकर्ताओं पर विश्वास नहीं करते हैं ! उन्होंने यह बयान तब दिया था जब प्रदेश के सोलह नगर निगमों के चुनाव नतीजे आये थे। भाजपा उसमें से सात निगम गंवाकर नौ पर सिमटी पड़ी थी। इस सूरतेहाल में वो बयान ऐसा था जैसे खो-खो का खेल हो और सीएम को खो दी गयी हो ! हालांकि इसके पहले वो सारे कार्यकर्ता इन दोनों नेताओं को मंच पर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर और हवा में लहराकर ‘ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे’ गाते कई बार देख चुके हैं। गोया राजनीति में ढोंगधतूरे भी बहुत करना पड़ते हैं। खैर। उसके बाद जिला और जनपद पंचायतों के चुनाव में पार्टी ने वाह वाह नतीजे पाए ! इसका कारण कुछ भी रहा हो, किंतु राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि उस खो देने वाले बयान का इस तरह जवाब दिया गया है।

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खाक

नये महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित भाजपा पार्षदों ने कल खेल प्रशाल में समारोहपूर्वक शपथ ग्रहण कर ली। समारोह में सीएम नहीं आये, इसके बावजूद हजारों की क्षमता वाला खेल प्रशाल कार्यकर्ताओं और नेताओं से खचाखच था। बाहर भी काफी लोग थे। प्रशाल में तो जिधर देखो उधर तिरंगे लहरा रहे थे। कुल मिलाकर मजमा और माहौल सबकी उम्मीद से ज्यादा तगड़ा था। इसको बूझना मुहाल था अलबत्ता भार्गव खूब खुश दिखे। वो जब भाषण देने आए तो प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा भी मंच पर उन्हीं की बगल में थे और उनके चेहरे के भाव खास पढ़ने लायक थे। आखिर नियति ने तो राजा राम को भी जंगल की खाक छनवा दी थी !

अंत में

भाजपा के किसी कार्यक्रम में ज्योतिरादित्य सिंधिया और तुलसी सिलावट को साथ में देखो तो कांग्रेस के पुराने चुनाव चिन्ह गाय बछड़ा का दृश्य आंखों में उतरता है। कल तुलसी और योगेश गेंदर मंच पर साथ दिखे तब भी वही दृश्य आंखों में उतरता लगा।