मुंबई: एल्युमीनियम और तांबे के उद्यम की दुनिया की अग्रणी कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सीमेंट और कॉन्क्रीट की भारत की सबसे बड़ी उत्पादक अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड के साथ समझौता करार किया है। इस करार के अनुसार देश के सात राज्यों में अल्ट्राटेक के 14 प्लांट्स में हर साल 12 लाख मेट्रिक टन रेड मड (जिस बॉक्साइट रेसिड्यू भी कहा जाता है) की जाएगी। हिंडाल्को अपनी तीन रिफाइनरियों में 100% लाल मिटटी का उपयोग करने वाली दुनिया की पहली कंपनी है।
एल्युमीनियम निर्माण प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाली रेड मड एल्युमीनियम, सिलिका और अल्कली के साथ आयरन ऑक्साइड भारी मात्रा में पाया जाता है। सीमेंट उद्योग ने अपनी प्रक्रिया के दौरान लेटेराइट और लिथोमारेज जैसे खनन खनिजों की प्रक्रिया की क्षमता विकसित की है।
हिंडाल्को अल्ट्राआईटी टेक सीमेंट प्लांट्स को रेड मड की आपूर्ति कर रहा है, जहां यह खनन सामग्री के लिए एक प्रभावी विकल्प साबित हुआ है, क्लिंकर कच्चे मिश्रण की मात्रा के 3% तक हिस्से के बजाय इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया गया है। रेड मड के प्रयोग से सीमेंट उद्योग की प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता कम हो जाती है और सर्कुलर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
वर्तमान में हिंडाल्को की एल्युमिना रिफाइनरियाँ से हर महीने सीमेंट कंपनियों को 250,000 मेट्रिक टन बोक्साइड रेसिड्यू की आपूर्ति की जाती है, जिससे हिंडाल्को दुनिया की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसने बोक्साइड अवशेषों के इतने बड़े पैमाने पर वाणीज्यिक अनुप्रयोग को सक्षम किया है।
इस वर्ष में 2.5 मिलियन मेट्रिक टन बॉक्साइट अवशेष के उपयोग करना हिंडाल्को का लक्ष्य है, वैश्विक स्तर पर यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
हिंडाल्को के प्रबंध निदेशक सतीश पाई ने कहा, “हिंडाल्को सीमेंट कंपनियों के साथ मिलकर निर्माण उद्योग के लिए उच्च श्रेणी की सामग्री विकसित कर रहा है। हिंडाल्को ने अपना मज़बूत ग्राहक आधार बनाया है और हर महीने 40 से अधिक सीमेंट संयंत्रों को रेड मड की आपूर्ति करती है। हमने अपनी रेफाइनरियों में से तीन में 100% रेड मड का उपयोग किया है और अपने काम में अल्युमिना का उत्पादन बिलकुल भी ना हो यह हमारा उद्देश्य है। दीर्घकालिक चिरस्थाई प्रभाव निर्माण करने और भविष्य को बदलने की क्षमता रखने वाले समाधानों को अपनाने की प्रतिबद्धता के अनुसार हिंडाल्को यह कदम उठा रही है।”
दुनिया भर में सालाना 160 मिलियन मेट्रिक टन रेड मड का उत्पादन होता है और यह ज़मीन के बड़े क्षेत्रों में संग्रहित होती है, यह उद्यमों के लिए एक गंभीर चुनौती है। इस पर एक स्थाई समाधान खोजने के लिए, हिंडाल्को ने बुनियादी सुविधाओं में निवेश किया है और सीमेंट कंपनियों के साथ सहयोग किया है, जिसमें अल्ट्राटेक सीमेंट एक प्रमुख भागीदार है।
अल्ट्राटेक सीमेंट के प्रबंध निदेशक श्री के सी झंवर ने कहा, “विनिर्माण में वैकल्पिक कच्चे माल और ईंधन का उपयोग करने वाली और स्टोरेज, हैंडलिंग और प्रोसेसिंग सुविधाओं के निर्माण के लिए निवेश करने वाली शुरूआती कम्पनियों में अल्ट्राटेक शामिल है। सीमेंट बनाने के लिए वैकल्पिक कच्चे माल के रूप में रेड मड जैसे कचरे के उपयोग के लिए बुनियादी ढांचे और प्रक्रिया संशोधन की आवश्यकता है ताकि उद्योग और पर्यावरण दोनों के लिए यह लाभकारी हो सके।”
पिछले साल, अल्ट्राटेक ने कच्चे माल के रूप में लगभग 15.73 मिलियन मेट्रिक टन औद्योगिक कचरे और भट्टियों में वैकल्पिक ईंधन के रूप में लगभग 300,000 मेट्रिक टन का उपयोग किया है।
श्री झंवर ने कहा, “हिंडाल्को से 1.2 मिलियन मेट्रिक टन रेड मड की सालाना आपूर्ति की वजह से हम अपनी विनिर्माण प्रक्रिया में लेटराइट जैसे 1 मिलियन मेट्रिक टन से अधिक प्राकृतिक संसाधनों की बचत कर पाएंगे। सीमेंट विनिर्माण प्रक्रिया में कच्चे माल और ईंधन के रूप में अपशिष्ट के उपयोग को बढ़ाकर सर्कुलर अर्थव्यवस्था में हमारे योगदान को बढ़ाना, हमारे दीर्घकालिक पर्यावरण की सुरक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप है।”
यह समझौता करार हिंडाल्को और अल्ट्राटेक दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यावरण संवर्धन पहल का प्रतीक है। एक उद्योग में निर्माण होने वाला कचरा दुसरे उद्योग में विनिर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल किया जाना चक्राकार अर्थव्यवस्था का आदर्श उदाहरण है, यह हिंडाल्को के व्यापर में पर्यावरण की सुरक्षा को प्राथमिकता देने के दृष्टिकोण की मिसाल है।