नई दिल्ली। सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (TRP) मामले में पेशी चाहती है तो उसे पहले गोस्वामी को सम्मन जारी करना चाहिये, जैसा कि मामले में आठ अन्य लोगों के संबंध में किया गया था। बंबई उच्च न्यायालय के जस्टिस एस.एस. शिंदे और जस्टिस एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि यदि ऐसा कोई सम्मन जारी किया जाता है तो फिर गोस्वामी को पुलिस के समक्ष पेश होना होगा और जांच में सहयोग करना होगा।
साथ ही कोर्ट ने पुलिस को निर्देश देते हुए कहा कि, ”प्राथमिकी में संपूर्ण विवरण नहीं होता। हम जांच के दस्तावेज देखना चाहते हैं और जानना चाहेंगे कि आज से लेकर सुनवाई की अगली तारीख तक क्या जांच होती है।” बता दे कि, अदालत रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाली एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लि. की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें अर्नब गोस्वामी ने 6 अक्टूबर को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की।
वही याचिका में इस मामले पर निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच के लिए सीबीआई को हस्तांतरित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई। साथ ही याचिका में कहा गया है कि, उच्च न्यायालय जांच पर रोक लगाए और पुलिस को याचिका के लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम उठाने से रोके। वही, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत से गोस्वामी को गिरफ्तारी से संरक्षण देने की मांग की। हरीश साल्वे ने कहा कि, ”पुलिस उन्हें (गोस्वामी) निशाना बना रही है और ऐसी आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।”
साथ ही, महाराष्ट्र सरकार और पुलिस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि, चूंकि मामले के आरोपियों में अब तक गोस्वामी का नाम नहीं है, इसलिए उन्हें गिरफ्तारी से संरक्षण देने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि ”इनमें से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया।”