कारोबारी ललित मोदी, उनकी मां बीना मोदी और अन्य भाई-बहनों के बीच चल रहा पारिवारिक संपत्ति विवाद और उलझता जा रहा है. इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व चेयरमैन ललित मोदी और उनकी मां के बीच जारी संपत्ति विवाद को लेकर आज एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने व्यवसायी ललित मोदी उनकी मां बीना मोदी और उनके भाई-बहनों के बीच चल रहे पारिवारिक संपत्ति विवाद मामले को 1 अगस्त, 2022 तक के लिए स्थगित कर दिया था। साथ ही भारत के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हेमा कोहली की पीठ ने पक्षों से विवाद को सुलझाने के लिए एक समाधान के साथ आने को कहा था।
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बता दे की उच्चतम न्यायालय ने ललित मोदी और उनकी मां तथा उद्योगपति के. के. मोदी की पत्नी बीना मोदी के बीच लंबे समय से जारी संपत्ति विवाद को सुलझाने के लिए पिछले वर्ष 16 दिसंबर को शीर्ष अदालत के दो पूर्व न्यायाधीशों न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ को मध्यस्थ नियुक्त किया था। न्यायमूर्ति रमण, न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ दिल्ली उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के उस फैसले के खिलाफ ललित मोदी की अपील पर सुनवाई कर रही है जिसमें कहा गया था कि बीना मोदी की अपने बेटे के खिलाफ दायर मध्यस्थता विरोधी रोक याचिका विचार करने योग्य है। ललित मोदी की ओर से पेश साल्वे ने कहा, ‘‘मेरे पास मध्यस्थों की एक रिपोर्ट है। ऐसी रिपोर्ट है कि मध्यस्थता विफल हो गई है। आइए इस मामले को आगे बढ़ाते हैं।’’ दूसरी ओर, सिब्बल ने प्रारंभिक आपत्तियां उठाते हुए कहा, ‘‘एक ट्रस्ट है और विवाद ट्रस्ट से संबंधित है। कई फैसलों में यह कहा गया है कि ट्रस्ट विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से तय नहीं किया जा सकता है।’’ रोहतगी ने ब्रिटेन में रह रहे ललित मोदी द्वारा ‘पावर ऑफ अटॉर्नी’ के माध्यम से अपील दायर करने पर भी आपत्ति जताई।
संपत्ति विवाद से जुड़े इस मामले में ललित मोदी की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे कोर्ट में मौजूद हैं तो वहीं उनकी मां और बहन की तरफ से कपिल सिब्बल केस लड़ रहे है
क्या है पूरा विवाद
2 नवंबर, 2019 को केके मोदी की मौत के बाद ललित मोदी, उनकी मांग बीना मोदी, उनकी बहन चारू और भाई समीरस के बीच संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया. ललित मोदी ने सिंगापुर की मध्यस्थता अदालत में अपील कर दी, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब विशेष अपील इसी फैसले पर रोक लगाने और मध्यस्थता मामले की सुनवाई को आगे बढ़ाने के लिए की गई है.