पुणे में GBS सिंड्रोम से मचा हाहाकार! तेजी से फैल रही हैं यह बीमारी, जानें पानी से क्या हैं इसका कनेक्शन?

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By Srashti BisenPublished On: January 27, 2025

Guillain Barre Syndrome: पुणे में बढ़ते गुलियन-बैरे सिंड्रोम के मामले पिछले कुछ दिनों में पुणे में गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे स्वास्थ्य विभाग और विशेषज्ञ चिंतित हैं। पुणे में अब तक 101 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 15 मरीज वेंटिलेटर पर हैं और एक मरीज की मौत भी हो चुकी है। हालांकि यह बीमारी संक्रामक नहीं है, फिर भी इसके बढ़ते मामलों ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है।

GBS: क्या है यह बीमारी और इसके कारण?

गुलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपने ही नर्वस सिस्टम पर हमला कर देता है। इसके परिणामस्वरूप मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें सांस लेने में कठिनाई, झुनझुनी, और पैरालिसिस जैसी समस्याएं शामिल हैं। कुछ अन्य कारण जो GBS का कारण बन सकते हैं, उनमें इन्फ्लूएंजा वायरस, एचआईवी, हेपेटाइटिस और जीका वायरस शामिल हैं।

जानें GBS का पानी से क्या हैं कनेक्शन?

विशेषज्ञों ने गहरे से जांच की है और पाया कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पानी में पाया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति इस बैक्टीरिया से संक्रमित पानी पीता है, तो वह पेट में संक्रमण पैदा कर सकता है। ऐसे संक्रमण से जीबीएस का खतरा बढ़ सकता है। पुणे में संक्रमित मरीजों के सैंपल की जांच में यह बैक्टीरिया पाया गया है, जिससे यह आशंका जताई जा रही है कि यह बैक्टीरिया GBS के मामलों में वृद्धि का कारण हो सकता है।

GBS के लक्षण

GBS के मरीजों में शुरुआती लक्षण के रूप में झुनझुनी और सुन्नता महसूस हो सकती है, खासकर हाथ और पैरों में। इसके अलावा, मरीज को बुखार, दिल की धड़कन में तेजी, और सांस लेने में परेशानी हो सकती है। गंभीर मामलों में पैरालिसिस (लकवा) भी हो सकता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

इलाज और सावधानियां

GBS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन प्लाज्मा थेरेपी और इम्यूनोग्लोबिन थेरेपी के जरिए लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। चूंकि यह संक्रामक नहीं है, इसलिए इसके फैलने का खतरा कम है। हालांकि, अगर यह बैक्टीरिया के कारण हो रहा है, तो मामलों में और वृद्धि की संभावना हो सकती है।

सुरक्षित रहने के उपाय:

  • शुरुआती लक्षणों को पहचानें और समय पर इलाज कराएं।
  • साफ पानी पीने की आदत डालें और संक्रमित इलाकों से दूर रहें।
  • नियमित रूप से हाथ धोकर भोजन करें और किसी भी लक्षण पर डॉक्टर से सलाह लें।