जल्दी जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेबल पाल्सी है बड़ी चुनौती, बच्चों की हड्डी का टूटना, हड्डी की ग्रोथ रोक सकता है – डॉ अर्पित अग्रवाल विशेष जुपिटर हॉस्पिटल

Author Picture
By Suruchi ChircteyPublished On: March 24, 2023

इंदौर। बच्चों में हड्डियों से जुड़ी समस्या पहले 10 प्रतिशत तो बढ़ ही रही थी। लेकिन कॉविड ने इसे और बढ़ा दिया है, जिस वजह से बच्चों का सोशल इंटरेक्शन खत्म हो गया है। आजकल बच्चों की आउटडोर ऐक्टिविटी काफी कम होती जा रही है। वहीं हमारी बदलती लाइफ स्टाइल का हमारे बच्चों के शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, हड्डियों को मजबूती के लिए जरूरी विटामिन, मिनरल्स, सन एक्सपोजर नही मिल पाता है। जिस वजह से छोटी चोंट में हड्डियां टूटने के चांस बने रहते हैं। यह बात डॉ अर्पित अग्रवाल पीडियाट्रिक ऑर्थोपेडिक सर्जन ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही। वह शहर के विशेष जुपिटर और कोरल हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


बच्चों की हड्डी टूटना बड़ो से अलग, ध्यान रखना होता हैं कि कहीं ग्रोथ न रुक जाए

छोटे बच्चों की हड्डी टूटना बड़ो से बिलकुल अलग होता है। बच्चों की हड्डी में ग्रोथ होती है, ऐसे में अगर उस जगह से टूटती हैं जहां से ग्रोथ होने वाली है, तो यह एक समस्या खड़ी कर सकती है। इसमें खासतौर से डॉ को ध्यान रखना होता हैं, कि ऑपरेशन या ट्रीटमेंट के दौरान कहीं उस हड्डी की ग्रोथ क्षमता ना खत्म ना हो जाए। उन्होंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई भारतीय विद्या पीठ मेडिकल कॉलेज पुणे से की है। इसके बाद पुणे के संचेती हॉस्पिटल से ऑर्थोपेडिक में डिप्लोमा हासिल किया। वह बताते हैं कि शुरू से ही बच्चों की ऑर्थोपेडिक में रुचि थी, इसलिए मुंबई के वाडिया चिल्ड्रन हॉस्पिटल से पीडियाट्रिक ऑर्थो में ट्रेनिंग पूरी की। इसके बाद भिलाई डीएनबी कोर्स कंप्लीट किया। उन्होंने लंदन और सिंगापुर के कई प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से फेलोशिप कंप्लीट की।

Read More : MP में चुनाव की हलचल तेज! 25 मार्च को कमलनाथ के गढ़ से चुनावी शंखनाद करेंगे अमित शाह, 2700 पुलिसकर्मी रहेंगे तैनात

समय सीमा से जल्दी जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेबल पाल्सी के लक्षण, आने वाले समय में होगी चुनौती

आज के दौर में बच्चों के समय से पहले जन्म लेने पर बेहतर हॉस्पिटल फैसिलिटी से उन्हें बचा तो लिया जाता है, लेकिन ऐसे बच्चों में सेरेबल पाल्सी के लक्षण बढ़ जाते हैं। बच्चों के मस्तिष्क में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती है, जिस वजह से ब्रेन बच्चों के हाथों और पैरों को सिग्नल नहीं दे पाते है, और वह कोई काम या चल फिर नही पाते हैं। और यह बीमारी देखने को मिलती है। इस बीमारी से बच्चें ठीक से चल नहीं पाना, देर से चलना, झटके आना और अन्य समस्या सामने आती हैं। यह एक उभरती हुई समस्या हैं, फॉरेन कंट्री में यह 4 गुना हो गई हैं, आने वाले समय में इंडिया में भी यह एक चुनौती साबित होगी।

Read More : बुध ग्रह के गोचर से इन 4 राशि वालों के खुलेंगे बंद किस्मत के ताले, भाग्य का मिलेगा पूरा साथ, देखें आज का राशिफल

मांसपेशियों से संबंधित मायोपैथी होती है जैनेटिक, इस वजह से हाथ पैर होते हैं टेडे

वहीं बच्चों में जेनेटिक कारण से मायोपेथी बीमारी देखने को सामने आती है, जिसमें मसल्स से संबंधित समस्या देखने को मिलती है। इसमें बच्चों में हाथ पैर का टेड़ा होना, उंगलियां कम ज्यादा होना जैसी समस्या सामने आती हैं। छोटे बच्चों में इन्फेक्शन के केस देखने को मिलते हैं। जिसमें बच्चों की हड्डियों और जोड़ों में इन्फेक्शन के केस बढ़ गए हैं। बचपन में अगर इस प्रकार के इन्फेक्शन होते हैं तो इसकी वजह से हड्डी टेडी हो सकती है या उसकी ग्रोथ रुकने के चांस बढ़ जाते हैं।