हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ हुए कथित गैंगरेप और हत्या के मामले में पुलिस ने शुरुआती जांच में ढिलाई बरती, जिसके कारण कई सबूत सामने नहीं आ सके। वही मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में बताया कि, हाथरस पीड़िता के परिवार ने कथित गैंगरेप के बाद जब चंदपा थाने में संपर्क किया तो पुलिसकर्मियों ने शुरुआती कार्रवाई में लड़की का बयान दर्ज करने और उसे मेडिकल जांच में भेजने के लिए तय प्रकिया को नहीं अपनाया।
वही शुक्रवार को कथित गैंगरेप मामले में सीबीआई ने 2000 पन्ने की चार्जशीट दाखिल की थी। बता दे कि, यह चार्जशीट एससी-एसटी कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिसपर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई 4 जनवरी, 2021 को तय की है। वही कोर्ट में पेश की गई चार्जशीट में सीबीआई ने 22 सितंबर को पीड़िता द्वारा दिए गए आखिरी बयान को आधार बनाया है, जिसमें पीड़िता ने चार लड़कों के खिलाफ रेप करने और उसका गला दबाकर मारने का आरोप लगाया था। हालांकि आरोपी घटनास्थल पर मौजूद नहीं होने का कोई सबूत नहीं दे पाए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआती जांच में खामियों के आरोप पर जवाब देते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि, जब सरकार को उनकी लापरवाही का पता चला तो एसपी सहित 5 पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था। उन्होंने कहा कि, “हमारी जांच सही दिशा में थी और लड़की द्वारा उन चारों आरोपियों के नाम बताए जाने पर हमने उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया था।”
उन्होंने आगे कहा कि, “सीबीआई ने हमारी एफआईआर की कॉपी ली है, जिसमें सभी धारा दर्ज हैं जिसके तहत आरोपियों के खिलाफ आरोप दर्ज हुए हैं। पीड़िता के परिवार के मांग के बिना, यूपी सरकार ने ही मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश की थी।”
वही, सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को खेत में लड़की के साथ संदीप, रवि, लवकुश और रामू ने कथित तौर पर बलात्कार किया और उसकी हत्या कर दी। आरोपियों के खिलाफ रेप, मर्डर और गैंगरेप की धाराओं के साथ एससी/एसटी एक्ट के तहत भी आरोप तय किए गए हैं। मामले में चारों आरोपी को फांसी की सजा तक हो सकती है।
साथ ही चार्जशीट में यह भी बताया कि, मामले में पीड़िता के भाई ने FIR कराया था। इसके मुताबिक, आरोपी संदीप ने लड़की को जान से मारने के उद्देश्य से गला दबाने की कोशिश की। लड़की ने अपने एक बयान में ‘जबरदस्ती’ करने का आरोप लगाया, इसके बावजूद उसे मेडिकल जांच के लिए नहीं ले जाया और फॉरेंसिक सबूत नहीं बच सके। आरोपपत्र के मुताबिक, चंदपा थाने में कोई महिला अधिकारी या एसएचओ ने 19 सितंबर तक लड़की की जांच करवाने की कोशिश नहीं की। चार्जशीट में बताया कि, “शुरुआत में पुलिस ने केस में ना ही आईपीसी की धारा 354 (रेप के उद्देश्य से जबरदस्ती करना) लगाया और धारा 376 (रेप) जोड़ा।” साथ ही सीबीआई ने यह भी बताया कि, लड़की ने 22 सितंबर को ही अलीगढ़ अस्तपाल में दिए अपने बयान में ‘बलात्कार’ शब्द का इस्तेमाल किया और चारों आरोपियों का भी नाम लिया था।
बता दे कि, उत्तरप्रदेश के हाथरस में 14 सितंबर को दलित लड़की के साथ कथित तौर से रेप के बाद, 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मौत के बाद हाथरस जिला प्रशासन ने आधी रात को ही कथित तौर पर लड़की के परिवार से इजाजत लिए बिना उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। अंतिम संस्कार देर रात 2 बजे करीब हुआ था इस दौरान घरवालों को शव के पास आने तक नहीं दिया गया था।
वही पीड़ित परिवार ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि, वो अपनी बेटी को आखिरी बार घर तक नहीं लेकर जा पाए। जिसके बाद जिला प्रशासन के इस कथित असंवेदनशील रवैये को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। जिसके बाद में प्रदेश सरकार ने इस मामले को सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई के आरोपपत्र पर पीड़िता के भाई ने कहा कि, न्याय के लिए संघर्ष में एक कदम आगे बढ़ें हैं, सीबीआई की चार्जशीट हमारी बातों को सही साबित करती है।