प्रदूषण किसी भी प्रकार का हो चाहे ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि सभी के कारण पर्यावरण को बहुत ज्यादा नुकसान होता है। लेकिन भारत में ऐसे कई शहर है जहां प्रदूषण काफी मात्रा में व्याप्त है। प्रदूषण को कम करने के लिए और पर्यावरण को नुकसान नहीं हो इसके लिए हाल ही में भारत में 1 जुलाई से प्लास्टिक को बैन कर दिया है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो पर्यावरण के बचाव के लिए कुछ भी नहीं करते हैं। अब पर्यावरण को बचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं और इसके चलते लोगों में भी जागरूकता आई है। हाल ही में जुलाई से प्लास्टिक को बैन करने का अहम निर्णय भी पर्यावरण को देखते हुए ही लिया गया है। लेकिन ऐसी कई चीजें हैं जो कि अभी भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही है।
ग्रीन सीमेंट
प्रदूषण को बढ़ाने में उद्योग धंधों का अहम योगदान होता है, क्योंकि इनसे निकलने वाला धुआं, अपशिष्ट पदार्थ या अन्य कई ऐसे पदार्थ जो कि पर्यावरण के लिए बहुत ही घातक माने जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नवरत्न ग्रुप ग्रीन सीमेंट लेकर आया है। नवरत्न ग्रीन सीमेंट इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड (एनजीसीआईपीएल) ग्रीन क्रेते लेकर आया है। इसमें जीरो कार्बन उत्सर्जन उत्पाद होने के अलावा एक सीमा मुक्त निर्माण सामग्री होने के गुण भी है। एनजीसीआईपीएल के ‘ग्रीन क्रेते’ प्रोडक्ट में गुणवत्ता से समझौता नहीं किया गया है और सबसे खास बात की इसके निर्माण की लागत में भी कमी आएगी।
नवरत्न ग्रुप ऑफ कंपनीज के सीईओ हिमांश वर्मा ने इसके जरिए निर्माण उद्योग को भी पर्यावरण फ्रेंडली बनाने के सपने को साकार किया है। हिमांश वर्मा का कहना है कि प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन से दुनिया में एक संकट उत्पन हो गया है और इसे हमने एक चुनौती के रूप में लेते हुए कंपनी के साथ काम करने वाले विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों की टीम ने ‘ग्रीन क्रेते’ के रूप में एक अच्छे फॉर्मूले को तैयार किया है , जो कि पर्यावरण के अनुकूल अपना काम करते हुए जल,वायु और भूमि प्रदूषण की जांच करना और उसे कम करना समय की आवश्यकता है।
इस सिमेंट की सबसे खास बात कि ग्रीन सीमेंट अत्याधिक टिकाऊ और लंबे समय तक चलने वाली चीज है। इसके अलावा ग्रीन क्रेते में मजबूती, लचीलापन, स्थायित्व, दरार प्रतिरोध भी है। जिसकी वजह से इसे पारंपरिक सीमेंट के तुलना में बहुत ही बेहतर और खास बनाता है। इसकी एक और खास सबसे खास बात कि ‘ग्रीन क्रेते’ सीमेंट सामान्य सीमेंट की तुलना में अधिक समय तक चलती टिकी रहती है। इसे विशाल संरचनाओं के निर्माण के लिए भी सबसे अच्छा विकल्प बताया जा रहा है। हालांकि अब बढ़ते प्रदूषण के चलते पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं और उनमें से ही यह भी एक बहुत बड़ा कदम है।