MP Board: मध्य प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए निर्णय के बाद राज्य शासन ने स्कूल छोड़ चुके बच्चों के लिए बड़ा कदम उठाया है. राज्य शासन ने इन बच्चों की शिक्षा पूरी करवाने का बीड़ा उठाया है. इसके लिए शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है जो ऐसे बच्चों की मैपिंग कर उन्हें पढ़ाई पूरी करने में मदद करेंगे.
राज्य शासन की ओर से ऐसे बच्चे जिनके माता पिता या फिर दोनों में से किसी एक की की मृत्यु मार्च 2020 के बाद हुई है. उनकी शिक्षा को जारी रखने के संबंध में निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद लोक शिक्षण संचालनालय की ओर से जिला शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करते हुए जारी किए गए आदेश को पूरा करने के निर्देश दिए है.
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इस आदेश के तहत ऐसे विद्यार्थी जो माता पिता की मृत्यु के कारण कहीं और जाकर अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं उन्हें स्थानांतरण प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे. सभी नोडल अधिकारी पढ़ाई छोड़ चुके बच्चों की शिक्षा जारी रखने में उनकी मदद करेंगे. इन विद्यार्थियों को उसी स्कूल में फिर से एडमिशन दिलाने की कोशिश की जाएगी जहां यह अपने माता पिता की मृत्यु के पहले पढ़ा करते थे. शाला त्यागी बच्चों में उन्हें शामिल किया जाएगा जिन्होंने 30 दिन से स्कूल अटेंड नहीं किया है या फिर एडमिशन ही नहीं लिया है. ऐसे बच्चे जिन्होंने एडमिशन लेने के बाद 8 वर्ष तक की शिक्षा ग्रहण नहीं की है. 14 साल से अधिक उम्र के वह बच्चे शिक्षा के अधिकार के अंतर्गत नहीं आते हैं लेकिन उन्होंने माता पिता की मृत्यु की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ दी है.
शाला त्यागी बच्चों की पढ़ाई निरंतर रखने के निर्देश जारी
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— School Education Department, MP (@schooledump) July 21, 2022
सभी शिक्षा अधिकारी इस तरह के बच्चों की मैपिंग कर उनके पढ़ाई छोड़ने के कारणों का पता लगा कर उनकी शिक्षा पूरी कराने में मदद करेंगे. कोविड-19 के दौरान जिन विद्यार्थियों ने अपने माता पिता को खो दिया है वह अगर प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तो उनके लिए मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल सेवा योजना के तहत व्यवस्थाएं की जा रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग एक पोर्टल तैयार कर रहा है. सभी नोडल अधिकारी शिक्षा से वंचित हुए बच्चों से जुड़ी अपडेट इस पोर्टल पर डालेंगे.