लंबे समय से जनता महंगाई के चलते परेशान हो रही है. लेकिन अब कहां जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में महंगाई से राहत मिल सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी छमाही यानी अक्टूबर से मार्च के बीच महंगाई की दर में गिरावट होगी. उनका कहना है कि केंद्रीय बैंक (Central Bank) महंगाई को नियंत्रित करने के लिए सभी तरह की मौद्रिक उपाय कर रहा है और इन्हें आगे जारी रखते हुए नियंत्रण पाया जाएगा.
आरबीआई गवर्नर (RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने यह बातें कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में कही. उन्होंने कहा कि फिलहाल सप्लाई आउटलुक काफी बेहतर नजर आ रहा है. अब तक जितने भी नतीजे सामने आए हैं उससे यही लग रहा है कि 2022-23 की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में रिकवरी होगी. उन्होंने मुद्रास्फीति धीरे-धीरे कम होने का अंदेशा भी जताया है और कहा है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका पहुंचने की आशंका कम हो जाएगी.
Must Read- आलिया के बाद अब दीपिका पादुकोण ने फैंस को दी खुशखबरी, रणवीर सिंह ने शेयर किया फ्यूचर प्लान
पीटीआई के मुताबिक दास ने यह भी बताया है कि यह ऐसा समय है जब पूरी दुनिया में महंगाई बढ़ रही है और ग्लोबल ट्रेड में गिरावट दर्ज की गई है. इसके चलते उन चीजों पर महंगाई का असर देखा जा सकता है जो नियंत्रण से बाहर है. उन्होंने कहा कि देश में महंगाई पर नियंत्रण और अर्थव्यवस्था की स्थिरता को बनाए रखने के लिए रिजर्व बैंक लगातार अपनी पॉलिसी में बदलाव करेगा.
बता दें कोरोना महामारी के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) का हाल बेहाल हो गया है. हालांकि धीरे-धीरे सुधार हो रहा है लेकिन अभी भी महंगाई ज्यादा है. इस पर काबू पाने के लिए केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट (Repo Rate) बढ़ाना शुरू कर दिए हैं. जून में भी रेपो रेट बढ़ाया गया था जिसके बाद देश के सभी बैंकों में लोन की ब्याज दरें बढ़ गई थी. जून में 0.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ा था. जिसके बाद यह कुल 4.90 फ़ीसदी हो गया था.
दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने अप्रैल-जून की बैठकों के दौरान 2022 23 की मुद्रास्फीति दर में बदलाव करते हुए उसे 6.7 फीसदी कर दिया है. मई में थोक महंगाई दर 15.88 प्रतिशत थी जो अप्रैल के महीने में 15.08 आंकी गई थी. 2012 के बाद यह पहली बार है जब महंगाई इस कदर बढ़ गई है. खुदरा महंगाई की बात करें तो मई में यह 7.04 फीसदी थी.