केंद्र सरकार ने उन केंद्रीय कर्मचारियों और स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (डीए) में बढ़ोतरी की घोषणा की है, जो 6वें और 5वें वेतन आयोग के तहत वेतन प्राप्त कर रहे हैं। यह नई दरें 1 जुलाई 2024 से प्रभावी मानी जाएंगी। महंगाई भत्ते में इस वृद्धि का उद्देश्य कर्मचारियों को बढ़ती महंगाई से राहत प्रदान करना है। आइए विस्तार से समझते हैं कि इस बदलाव के बाद कर्मचारियों की सैलरी पर क्या प्रभाव पड़ेगा और डीए की गणना कैसे होती है।
6वें वेतन आयोग के तहत डीए में बढ़ोतरी
6वें वेतन आयोग के तहत आने वाले केंद्रीय कर्मचारियों और स्वायत्त निकायों के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते को 239% से बढ़ाकर 246% कर दिया गया है। इसका अर्थ यह है कि अब इन कर्मचारियों को उनके मूल वेतन पर 246% की दर से महंगाई भत्ता मिलेगा। यह नई दर 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुकी है।
5वें वेतन आयोग के तहत डीए में वृद्धि
5वें वेतन आयोग के तहत वेतन पाने वाले कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता 443% से बढ़ाकर 455% कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि इन कर्मचारियों को अब उनके मूल वेतन पर 455% की दर से महंगाई भत्ता मिलेगा। यह बदलाव भी 1 जुलाई 2024 से लागू हो गया है।
7वें वेतन आयोग के तहत डीए में संशोधन
7वें वेतन आयोग के तहत वेतन पाने वाले केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) को 50% से बढ़ाकर 53% कर दिया गया है। यह संशोधन भी 1 जुलाई 2024 से प्रभावी हो चुका है।
महंगाई भत्ते की गणना का आधार
महंगाई भत्ते की गणना आमतौर पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर की जाती है। यह भत्ता बढ़ती महंगाई के प्रभाव को संतुलित करने के लिए कर्मचारियों को दिया जाता है। जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है, सरकार समय-समय पर डीए में संशोधन करती है ताकि कर्मचारियों की क्रय शक्ति प्रभावित न हो।
इस वृद्धि का प्रभाव
इस बार की बढ़ोतरी से केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारी और पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे। महंगाई भत्ते में वृद्धि के चलते कर्मचारियों की सैलरी में भी इजाफा होगा, जो उनके मासिक खर्चों को संतुलित करने में मदद करेगा। यह कदम विशेष रूप से उन कर्मचारियों के लिए राहतकारी साबित होगा, जो 6वें और 5वें वेतन आयोग के तहत वेतन प्राप्त करते हैं और लंबे समय से इस बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे थे।
महंगाई भत्ते में इस वृद्धि के साथ, सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी आर्थिक रूप से बेहतर स्थिति में रहें, खासकर वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों में।