राज-काज : नेतृत्व का मिला फ्री हैंड, फुल फार्म में शिवराज

Share on:

दिनेश निगम ‘त्यागी’

मध्यप्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों पर विराम लग गया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(CM Shivraj Singh Chauhan) की कार्यशैली को देखकर लगने लगा है कि उन्हें भाजपा नेतृत्व की ओर से फ्री हैंड मिल गया है और वे फुल फार्म में हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय(Kailash Vijayvargiya) को ही ले लीजिए, खंडवा सहित कुछ उप चुनावों के दौरान उन्होंने कहा था कि भाजपा जीत रही है लेकिन विधानसभा चुनाव किसके नेतृत्व में लड़ा जाएगा, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। अब उनकी भाषा बदल गई। बाकायदा पत्रकार वार्ता के साथ भोज आयोजित कर उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह मुख्यमंत्री के रूप में अच्छा काम कर रहे हैं।

लिहाजा, विधानसभा का 2023 का चुनाव भी उनके ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। साफ है कि पार्टी नेतृत्व की ओर से शिवराज को हरी झंडी मिल चुकी है। शिवराज का बुलडोजर बेधड़क अपराधियों के निर्माण गिरा रहा है और मंत्री वही कर रहे हैं, जो शिवराज चाह रहे हैं। पचमढ़ी के चिंतन शिविर में भी सभी मंत्री अनुशासित विद्यार्थी की ही भूमिका में नजर आए। शिवराज के निर्णय के सामने किसी ने चू चपाट नहीं की। प्रदेश भाजपा संगठन भी उनके सामने नतमस्तक है। वह शिवराज के नक्शेकदम पर ही चल रहा है।

खुद फंसे, भाजपा को भी धर्मसंकट में डाला –

फिल्म द कश्मीर फाइल्स के कारण विदेशों तक में छा गए विवेक अग्निहोत्री ने भोपाल में सब गुड गोबर कर दिया। एक कथन से वे भोपालवासियों की नजर में खलनायक बने ही, भाजपा को भी धर्मसंकट में डाल दिया। पूरा देश कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय को रेखांकित करती उनकी फिल्म की सराहना कर रहा है। इसे देखने उमड़ी भीड़ की बदौलत फिल्म रिकार्ड तोड़ कमाई कर रही है। इस बीच एक न्यूज पोर्टल को दिए इंटरव्यू में विवेक ने भोपालवासियों को नवाबी शौक वाला होमोसेक्सुअल कह डाला।

उनसे जुड़ा वीडियो जैसे ही वायरल हुआ, कांग्रेस अग्निहोत्री के खिलाफ सड़क पर उतर आई। कथन को भोपालवासियों का अपमान ठहरा कर माफी की मांग की जाने लगी। चुप्पी पर भाजपा को भला-बुरा कहा जाने लगा। भाजपा के नेता भी क्या करते, वे भोपाल के नागरिकों को होमोसेक्सुअल कहने का समर्थन तो नहीं कर सकते थे। लिहाजा वे बचाव की मुद्रा में थे। बाद में फिल्म निर्माता विवेक की सफाई आई लेकिन उन्होंने अपने कथन के लिए माफी नहीं मांगी। उन्होंने कहा कि उनकी बात को गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। सवाल यह है कि आखिर उन्होंने किसी भी संदर्भ में ऐसा कहा ही क्यों?

नेताओं के बीच भोज राजनीति का कॉम्पटीशन –

प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल से ज्यादा का समय बाकी है। ये नवंबर 2023 में होंगे। लेकिन नेताओं की तयारी अभी से शुरू हो गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं प्रदेश भाजपा संगठन चुनावी मोड में पहले से हैं, अन्य प्रमुख नेताओं ने भी कसरत शुरू कर दी है। जिस प्रकार आमतौर पर होता है, तीन साल तक शांत रहे नेताओं ने मीडिया को अपनी ओर आकर्षित करना शुरू कर दिया है। इसका सबसे अच्छा जरिया है भोज की राजनीति। इसकी शुरुआत कांग्रेस के जीतू पटवारी ने की।

Read More : Oath Ceremony : दूसरी बार गोवा में छाया प्रमोद सावंत का नाम, ली CM पथ की शपथ

इसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव ने भोज दिया। लगे हाथ वीडी शर्मा, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी दावत दे डाली। इसमें मीडिया के साथ पार्टी के प्रमुख नेताओं को भी बुलाया गया। जानने वालों को मालूम है कि किसी नेता का भी उद्देश्य मीडिया को भोजन कराना नहीं है। अपनी राजनीति चमकाना और कोई न कोई मसेज देना है। सभी अपने उद्देश्य में सफल भी रहे। खास बात यह है कि भाजपा के अंदर मुख्यमंत्री को लेकर दौड़ शांत होती दिख रही है। समूची पार्टी शिवराज सिंह के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव की तयारी में जुट गई है, जबकि कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर सिर फटौव्वल है।

क्या गुल खिलाएगी कांग्रेस की यह उठापटक –

प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव एवं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की सक्रियता से पार्टी में उठापटक का नया दौर शुरू है। चर्चा यहां तक है कि कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया जा सकता है। फिलहाल ये महज अटकलें हं। शुरुआत अरुण के पत्रकारों से चर्चा और भोज से हुई। इसमें कांग्रेस के प्रमुख नेताओं को भी बुलाया गया। इसके बाद अरुण दिल्ली पहुंचे और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से चर्चा की। लगे हाथ अरुण का प्रदेश के दौरे का कार्यक्रम बन गया और वे सक्रिय भी दिखाई देने लगे जबकि लंबे समय से वे निमाड़ अचंल तक सीमित थे।

Read More : इस साल लॉन्च होगी Royal Enfield की ये शानदार Bikes, सस्ती Bullet भी है शामिल

शनिवार को अरुण भोपाल में थे तो बाकायदा सोशल मीडिया में मैसेज था कि अरुण शाम तक मिलने के लिए अपने निवास में उपलब्ध हैं। मीडिया सहित पार्टी के तमाम नेताओं ने जाकर उनसे मुलाकात भी की। दूसरा, अजय सिंह ने सोनिया गांधी से मिलने का समय मांग लिया और दिल्ली पहुंच गए। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बाद ये दो ही नेता ऐसे हैं, जिनके प्रदेश भर में समर्थक हैं। इससे पहले विधानसभा के एक घटनाक्रम से जीतू भी कमलनाथ से नाराज हो गए थे हालांकि वे नाथ के साथ होने का बयान दे चुके हैं। यह नईउठापटक पार्टी के अंदर क्या गुल खिलाएगी, इस पर सबकी नजर है।

विवेक तन्खा के जी-23 में शामिल होने के मायने –

कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य और प्रसिद्ध अधिवक्ता विवेक तन्खा गांधी परिवार के खिलाफ काम कर रहे जी-23 में शामिल हो सकते हैं, इस पर कोई भरोसा नहीं कर पा रहा है, पर यह सच है। इसकी वजह है। पहला, तन्खा कांग्रेस में पहली बार राज्यसभा सदस्य बन हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर उनकी कोई बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षा नहीं है। हालांकि उनका नाम भी एकाध बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल चुका है। लेकिन उन्हें कोई गंभीर दावेदार नहीं मानता। सच यह है कि वे समाजसेवा का काम भी करते है लेकिन उनकी पहचान सक्रिय राजनेता की बजाय अच्छे अधिवक्ता के तौर पर ज्यादा है।

दूसरा, तन्खा प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के सबसे नजदीक हैं। दिग्विजय सिंह के साथ भी उनकी अच्छी पटरी बठती है। ऐसे में उनके जी-23 में शामिल होने का कमलनाथ को नुकसान भी हो सकता है। यह भी संभव है कि आलाकमान पर दबाव बनाने के उद्देश्य से कमलनाथ के संकेत पर ही वे जी-23 में शामिल हुए हों। वजह कुछ भी हो सकती है, फिर भी विवेक तन्खा का असंतुष्ट समूह में शामिल होना किसी के गले नहीं उतर रहा। इसीलिए उन्हें लेकर अटकलों का दौर जारी है और इसके मायने तलाशे जा रहे हैं।