पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने मध्यप्रदेश (Madhypradesh) सरकार और इंदौर जिला प्रशासन द्वारा देश के सबसे प्रतिष्ठित पब्लिक स्कूलों में से एक डेली कॉलेज की गवर्निंग बॉडी को अपने निहित स्वार्थों के चलते अवैध आदेश जारी कर दुर्भावनापूर्ण ढंग से भंग किये जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि डेली कॉलेज जैसी विश्व स्तरीय संस्था के नाम खराब होने पर मुझे दुख हो रहा है क्योंकि न केवल मैं बल्कि अब हमारी चौथी पीढ़ी इस स्कूल में पढ़ रही है और जिसका मैं संरक्षक हूं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने इस सन्दर्भ में डेली कॉलेज को राजनीति से बाहर रखे जाने को लेकर अपील करते हुए कहा कि सभी से मेरी अपील है कि भगवान के लिए राजनीति को हमारे स्कूल से बाहर रखें। उन्होंने इस सन्दर्भ में कुछ खुले तथ्य प्रस्तुत किये हैं जिससे ये पूरा मामला साफ़ प्रतीत होता है कि किस तरह अवैध तरीके से निहित स्वार्थों के चलते डेली कॉलेज की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने का दूषित काम किया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले के तथ्य बताते हुए कहा कि 06 अप्रैल 2022 का दिन भारत के सबसे पुराने पब्लिक स्कूल में से एक डेली कॉलेज के इतिहास में काले दिवस के रूप में अंकित होगा जब पहली बार पुलिस के साथ सरकारी अधिकारी डेली कॉलेज परिसर में घुसे और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की विधिवत बैठक को बाधित किया। एसडीएम ने शासनादेश सौंपते हुए विधिवत रूप से निर्वाचित बोर्ड ऑफ गवर्नर के अध्यक्ष और एक सदस्य को बैठक छोड़ने के लिए विवश कर दिया। ये आदेश क्या है?
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उन्होंने कहा कि सर्वसम्मति से चुने गए बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष झाबुआ के महाराजा नरेंद्र सिंह और उनके बेटे जय सिंह को 2020 में गठित बोर्ड के सदस्य होने से निम्नलिखित नियम का हवाला देते हुए की गई शिकायत के अंतिम निपटान तक हटाने से रोकता है। उस नियम को दर्शाते हुए श्री सिंह ने बताया कि “डेली कॉलेज में पढ़ने वाले दो छात्रों के माता-पिता को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सदस्य के रूप में सहयोजित किया जाता है, बशर्ते कि एक सहयोजित किया गया सदस्य केवल तब तक सदस्य रह सकता है जब तक छात्र कॉलेज में पढ़ रहा है।
यहां यह उल्लेख करना उचित है कि यह खंड केवल इस मूल श्रेणी के लिए बनाया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि डेली कॉलेज में पढ़ने वाले अपने वार्ड के आधार पर स्कूल की सोसाइटी का कोई भी कर्मचारी या उसका पति / पत्नी बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का सदस्य नहीं बनता है।” उन्होंने कहा कि जय सिंह को सर्वसम्मति से बोर्ड द्वारा मूल श्रेणी में सहयोजित किया गया। उनका बेटा अभी भी डेली कॉलेज में पढ़ रहा है।
वह या उसकी पत्नी डेली कॉलेज के स्टाफ में नहीं हैं न ही उन्हें बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य के रूप में कोई वेतन मिल रहा है। ये मामले के खुले तथ्य हैं। फिर किस नियम के तहत रजिस्ट्रार फर्म और सोसायटी ने उपरोक्त आदेश जारी किया है? यह पूरी तरह से अवैध और राजनीति से प्रेरित आदेश है। पूर्व सीएम ने कहा कि उन्हें यकीन है कि सही फोरम पर चुनौती दिए जाने पर इस अवैध आदेश को रद्द कर दिया जाएगा।
श्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनका यह भी मानना है कि 06 अप्रैल 2022 की बोर्ड की बैठक में पहले के एजेंडे को नजरअंदाज कर दिया गया जिसमें स्कूल के कामकाज के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण पूर्व एजेंडा आइटम लिए गए थे। उन्होंने कहा कि हममें से कुछ जो राजनीति में हैं उन्होंने हमेशा डेली कॉलेज परिसर के बाहर राजनीति रखी है। जहां तक डेली कॉलेज का सवाल है, हम सभी पुराने डेलियंस हैं और कांग्रेस या बीजेपी या किसी अन्य पार्टी से नहीं हैं। हाल ही में वर्तमान मध्यप्रदेश विधानसभा में चुने गए विभिन्न राजनीतिक दलों के सभी विधायकों को स्कूल द्वारा सम्मानित किया गया।
हमारे बीच हमेशा सौहार्द की भावना रही है। फिर निजी लाभ के लिए डेली कॉलेज के कामकाज में हस्तक्षेप करने के लिए राजनीतिक शक्ति का दुरूपयोग क्यों किया गया? सरकार और जिला प्रशासन के इस गैर कानूनी कदम से डेली कॉलेज के मान गिरने से एक परिवार के ऐसे सदस्य के नाते जिसकी चार पीढ़ियों ने डेली कॉलेज में अध्ययन किया है और इस महान संस्थान के संरक्षक के रूप में आज मैं दुखी और निराश महसूस कर रहा हूं। इस कार्रवाई से डेली कॉलेज और उसके बोर्ड का नाम खराब हुआ है। इसमें तो कोई शक ही नहीं है।
श्री सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पुछा कि उनके स्कूल की गवर्निंग बॉडी पर की गई कार्यावाही किस लिए? प्रतिष्ठा? अहंकार? वित्तीय लाभ? व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं? राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं? आखिर किस लिए किया गया ये षड्यंत मुझें नहीं पता? मुझे खेद है कि डैली कॉलेज जैसे शैक्षणिक संस्थान का नाम और प्रतिष्ठा हम सभी डैली कॉलेज के पुराने डेलियन, माता-पिता और शुभचिंतक के लिए सबसे ऊपर होनी चाहिए थी| पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बताया गया है कि वर्तमान प्राचार्य जिन्हें अब हटा दिया गया है उनकी कार्य अवधि को बढाया जाने का निर्णय ही इस पूरे मामले का चरम बिंदु था जिसे रोकने के लिए ये पूरा षड्यंत्र रचा गया।
यदि ऐसा है तो बोर्ड किसी न किसी तरीके से निर्णय लेने के लिए पूरी तरह से सक्षम था, फिर पुलिस और एसडीएम को डेली कॉलेज के मामलों में दखल देने के लिए क्यों लाया गया? यह कुछ लोगों को अप्रिय लग सकता है, लेकिन मैं मध्य प्रदेश के रजिस्ट्रार फर्म्स और सोसायटी व सरकार द्वारा की गई इस पूरी तरह से अवैध कार्रवाई और इंदौर जिला प्रशासन के आचरण की कड़ी निंदा करता हूं, जिसने उच्च स्तर की मनमानी करने का काम किया है और डेली कॉलेज से जुड़े उन सभी लोगों को जिम्मेदार मानता हूँ जिन्होंने इस पूरे मामले को बढ़ावा दिया व डेली कॉलेज को लोगों की नजरों में उपहास का पात्र बनाया।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अपील करते हुए कहा कि जो लोग डेली कॉलेज स्कूल के प्रति प्यार और स्नेह रखते हैं, मैं उन सभी से पुरजोर अपील करता हूं कि कृपया डेली कॉलेज को राजनीति का अखाड़ा बनने न दें। रात के खाने पर साथ बैठिए और अपने मतभेदों को सुलझाओ लेकिन भगवान के लिए व्यक्तिगत लाभ के लिए 150 साल से अधिक की संस्था की प्रतिष्ठा को खराब मत कीजिये