Exit poll से निकले पांच बड़े सियासी संदेश, जानिए गुजरात, हिमाचल और दिल्ली एग्जिट पोल के संदेश

Simran Vaidya
Published on:

गुजरात,हिमाचल प्रदेश और दिल्ली एमसीडी चुनावों के नतीजों का भले सबको बेसब्री से इंतजार हो, लेकिन एग्जिट पोल ने इन राज्यों में बदले चुनावी समीकरणों का संकेत दे दिया है.मतदान के अनुसार गुजरात में भारतीय जनता पार्टी अपना दबदबा बनाने में सफल रही है तो हिमाचल प्रदेश में कांटे की टक्कर होने के बाद भी सत्ता परिवर्तन का चलन देखने को मिल रहा है. दिल्ली में एमसीडी के विलय के कार्ड के बाद भी बीजेपी बेअसर दिख रही है तो वही आम आदमी पार्टी(AAP) की आंधी बीजेपी के योजनाए फ़ैल करती दिख रही है.

फ़िलहाल तो गुजरात, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर सोमवार को मतदान ख़त्म हो गया है. इस के साथ ही Exit Poll भी जारी कर दिए गए हैं। गुजरात में जहां बीजेपी पूरे दम के साथ इतिहास दोहराते हुए नज़र आ रही है, AAP का MCD में कब्जा हो सकता है और हिमाचल में कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।

Exit poll से निकले ये पांच बड़े सियासी संदेश

एग्जिट पोल के ये बड़े आंकड़े अगर चुनाव नतीजों में बदलते हैं, तो ये साफ हो जाएगा कि भविष्य की सियासत का रास्ता किस ओर जाएगा? तीन राज्यों के एग्जिट पोल के बड़े संदेश क्या हैं, नए बदलावों का भी ट्रेंड दिख रहा है और इनके दूरस्थ संकेत क्या हैं.

Also Read – MP Weather : मध्य प्रदेश में और बढ़ेगी ठंड, रात के तापमान में हो रही बढ़ोतरी, जानें-दूसरे जिलों का हाल

बीजेपी के लिए कुछ बड़े संदेश

गुजरात में बीजेपी की जगह समय के साथ और भी मजबूत होती जा रही है.यह बात इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल के नतीजों ने साबित कर दी.पिछले 27 सालों से काबिज बीजेपी ने भले ही एक बार फिर से गुजरात में रिकॉर्ड तोड़ तरीके से सत्ता में वापसी की हो,लेकिन हिमाचल और दिल्ली एमसीडी की सत्ता अभी भी बीजेपी के हाथों से निकलती नजर आ रही है.

ये बीजेपी के लिए सियासी तौर पर एक बड़ा झटका है. हिमाचल प्रदेश में पांच साल से सत्ता में है जबकि दिल्ली एमसीडी में बीजेपी 15 सालों से काबिज थी. इस बार दिल्ली की तीनों एमसीडी का एकीकरण कर चुनाव लड़ी.बावजूद इसके बीजेपी अपना वर्चस्व कायम रखने में असफल हुई हैं. हिमाचल प्रदेश और एमसीडी चुनाव के एग्जिट पोल के सियासी नारे साफ हैं कि बीजेपी अपना हर चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर नहीं जीत सकती है. राज्यों और निकायों को भी काम करना होगा.लेकिन इससे एक बात तो साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी के नाम बीजेपी भीड़ तो जुटा सकती हैं, लेकिन बीजेपी सरकार को वोट तो काम करने पर ही मिलेगा.इसके अलावा बीजेपी के पास केजरीवाल के कद का कोई चेहरा भी नहीं है, जिसके नाम पर वोट मांग सके.

वहीं हिमाचलप्रदेश में जयराम ठाकुर अपनी सरकार के काम से ज्यादा मोदी के नाम और राष्ट्रीय मुद्दों पर वोट मांग रहे थे. बीजेपी को यह समझने की आवश्यकता है कि हर चुनाव पीएम नरेंद्रमोदी के आधार पर नहीं जीता जा सकता। जनता ये यह बात जानती है कि विधानसभा और निकाय चुनाव में पीएम मोदी न तो जीतकर उनका नेतृत्व करने वाले हैं और ना ही नगर निकाय में वो मेयर बनने वाले हैं. ऐसे में पीएम मोदी के चेहरे पर वोट देने से कोई फायदा नहीं होगा। उत्तरप्रदेश में देखें तो बीजेपी की सत्ता में वापसी ऐसे ही नहीं हुई थी. मोदी के नाम पर जरूर चुनाव लड़ा गया, लेकिन योगी सरकार के पांच साल के काम भी थे. इस तरह से उत्तराखंड और हरियाणा में देखें तो भी वहां की राज्य सरकारों ने काम किया था, जिसके दम पर सत्ता में वापसी हुई है.

आप का कब्ज़ा

वही चुनाव में सबसे बड़ा सियासी झटका कांग्रेस को लगा है. कांग्रेस भले ही हिमाचल की सत्ता में फिर से वापसी करती दिखाई दे रही हो, लेकिन वहां पर साढ़े तीन दशक से हर पांच साल पर सत्ता बदलाव का चयन रहा है.हिमाचल में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है, लेकिन उसके लिए सबसे बड़ी चिंता आम आदमी पार्टी बन गई है. देश में एक के बाद एक राज्य में कांग्रेस की सियासी जमीन को आम आदमी पार्टी कब्जा करती जा रही है. राज्यों में जनता के लिए बीजेपी के सामने कांग्रेस का विकल्प आम आदमी पार्टी बन रही है.