जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट की पहल पर कोरोना संक्रमण की रोकथाम हेतु जनप्रतिनिधियों धर्मगुरूओं एवं सामाजिक संगठनों के साथ बैठक में लिए गए निर्णयों पर जिला प्रशासन द्वारा अमल प्रारंभ कर दिया गया है। उक्त बैठक में यह बात प्रमुख रूप से उभरकर आयी थी की कोरोना वैक्सीन के संबंध में भ्रामक प्रचार को रोका जाए और सही तथ्यों की जानकारी आम जनता को दी जाए।
इस संबंध में संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा की पहल पर शनिवार को चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा वैक्सीन के संबंध में सभी तरह की आवश्यक जानकारी मीडिया के माध्यम से नागरिकों को प्रदान की गई। इस अवसर पर मौजूद सांसद श्री शंकर लालवानी ने कहा कि यह एक अच्छा प्रयास है। जिससे विशेषज्ञों द्वारा वैक्सीन से संबंधित शंका का सामाधान किया जा रहा है।
इस दौरान मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित, डॉ. सलिल भार्गव, डॉ. वी.पी. पाण्डे और डॉ. हेमंत जैन द्वारा वैक्सीन के संबंध में बहुधा पुछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब लोगों तक पहुंचाये गये। इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद डॉ. निशांत खरे ने कहा कि इंदौर संभावनाओं से परिपूर्ण हैं। हम स्वच्छता में नंबर वन बन सकते हैं तो वैक्सीनेशन अभियान में भी नंबर वन बन सकते हैं।
उन्होंने मीडिया से अनुरोध करते हुये कहा कि वे भी अपना सामाजिक दायित्व निभाएँ और इस महती अभियान में सक्रियता से लोगों को प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के लिए हमें लगातार नागरिकों को स्मरण कराना होगा और उन्हें प्रेरित करना होगा की अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिये वैक्सीन जरूर लगवाये।
इस अवसर पर विषय-विशेषज्ञों ने लोगों के मन में उठ रही भ्रांतियों एवं प्रश्नों को दूर करते हुये बताया कि ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने कोरोना वैक्सीनेशन हेतु कोविशील्ड और कोवैक्सीन दोनो के इस्तेमाल की अनुमति दी है। डीसीजीआई के निर्देशानुसार कोविशील्ड के पहले डोज लगवाने के 6 से 8 सप्ताह के अंतराल के बाद दूसरा डोज और कोवैक्सीन के पहले डोज लगवाने के 4 सप्ताह के अंतराल के बाद दूसरा डोज लगवाया जा सकता है।
दोनों में से किसी भी वैक्सीन का प्रयोग कोविड संक्रमण से बचाव हेतु पूर्णत: सुरक्षित है। वैक्सीन के दूसरे डोज लगने के पश्चात 2 से 3 सप्ताह के अंदर कोविड के विरूद्ध पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता निर्मित हो जाती है। वैक्सीन लगवाने के बाद यदि किसी को कोविड संक्रमण होता भी है, तो संबंधित मरीज की स्वास्थ्य स्थिति गंभीर नहीं होती है। ना ही कोविड इंफेक्शन मरीज के फेफड़ों को प्रभावित करता है।
विषय-विशेषज्ञों ने बताया कि यदि किसी को पूर्व में ही कोविड इंफेक्शन हो चुका है तो वे भी रिकवरी के 4 से 8 सप्ताह बाद कोविड वैक्सीनेशन अवश्य करवाये। उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन लगवाने के पश्चात लोगों में किसी भी तरह के साइड इफेक्ट नहीं पाये गये है। उन्होंने बताया कि कोविड का स्थाई इलाज वैक्सीनेशन है लेकिन तत्कालिक बचाव के लिये आमजनों को सोशल डिस्टेंसिंग एवं मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करना चाहिये।