Employees DA Hike: मध्यप्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी और पेंशनरों को राज्य सरकार अभी फिलहाल बढ़ा हुआ 4 फीसदी महंगाई भत्ता नहीं मिलने वाला है। वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि फिलहाल इस बारे में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया गया। खास बात तो ये है कि विधानसभा चुनाव से अब तक 2 बार महंगाई भत्ते प्रस्ताव भेजे गए। लेकिन मुख्य सचिव वीरा राणा के दफ्तर से ही लौटा दी गई। अब केंद्र सरकार जल्द ही महंगाई भत्ते की 4 प्रतिशत की एक और किस्त देने की तैयारी में है। इसकी जानकारी के बाद अब प्रदेश के कर्मचारी संगठन आंदोलन की तैयारी में जुट गया है।
वोटिंग के पहले मांगी थी आयोग से अनुमति
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के चलते कर्मचारियों को शिवराज सरकार ने 4 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने का चुनाव आयोग से अनुमति मांगी थी। लेकिन वोटिंग से 4 दिन पहले यानी धनतेरस के दिन 12 नवंबर को राज्य सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर तब चुनाव आयोग ने ये कहकर रोक लगा दी थी कि वोटिंग के दिन 17 नवंबर तक इस निर्णय को स्थगित रखा जाए। इसके बाद राज्य सरकार ने चुनाव आयोग को चुनाव परिणाम तक प्रस्ताव ही नहीं भेजा। बाद में इसे लेकर एक बार फिर से चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजा था जिसके बाद फिर मुख्य सचिव के दफ्तर से लौटा दी गई। अब कर्मचारी इस बात से नाराज हो रहे हैं। क्योंकि केंद्र सरकार एक बार फिर से महंगाई भत्ता देने जा रही है।
केंद्र को मिल रहा 46%, तो MP को 42%
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ता और महंगाई राहत दी थी। जिसके बाद से केंद्रीय कर्मचारियों को कुल 46 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। ऐसे में जबकि राज्य में भी केंद्र के समान ही महंगाई भत्ता देने की प्रथा है। ऐसे में आचार संहिता लगने के दौरान छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारों ने अपने राज्य में जुलाई 2023 से 4% महंगाई भत्ते का लाभ दे दिया था। वही मध्य प्रदेश के 7.50 लाख कर्मचारी और 4.50 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी केंद्र के समान महंगाई भत्ता और महंगाई राहत नहीं मिलने से नाराजगी दिखा रहे हैं।
2 से 10 हजार रुपए का नुकसान
केंद्र सरकार के समान महंगाई भत्ते की धनराशि मंजूर नहीं होने से चतुर्थ श्रेणी से लेकर राजपत्रित अधिकारियों तक को हर महीने 2 हजार रुपए से 10 हजार रुपए तक का फायदा होना है। ऐसे में अखिल भारतीय सेवा में शामिल आईएएस अफसरों और न्यायिक सेवा के अफसरों को तो बढ़ा हुआ भत्ता देने का आदेश चुनाव आचार संहिता के दौरान ही जारी हो गया था। लेकिन अब बाकी कर्मचारियों और पेंशनर्स को अभी इसका और इंतजार करना पड़ सकता है।