शिक्षा सफलता की कुजी और भविष्ण के निर्माता है शिक्षक

Ayushi
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साक्षरता और शिक्षा दोनो साथ-साथ चले तभी सही भविष्य का निर्माण हो सकता है अभिप्राय केवल किताबी शिक्षा ही नहीं है बल्कि साक्षरता का अर्थ लोगों में उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरुकता लाकर सामाजिक विकास का आधार बनाना है। साक्षरता गरीबी उन्मूलन, लिंग अनुपात सुधारने, भ्रष्टाचार और आतंकवाद से निपटने में सहायक और समर्थ है। आज विश्व में साक्षरता दर सुधारनी जरूर है फिर भी शत-प्रतिशत से यह कोसो दूर है।

हिण्डालको महान शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिये अनवरत प्रयासरत है। ट्रांसफार्म सिगरौली के तहत हिण्हालको महान कई तरह से शिक्षा के बेहतरी के लिये प्रयास किया, उसी तारतम्य में हिण्डालको महान का सी०एस०आर० विभाग ने मझिगया और एण्ड आर कॉलोनी में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में विश्व साक्षरता दिवस कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें हिण्डालको महान परियोजना के मानव संसाधन प्रमुख विश्वनाथ मुखर्जी सी०एस०आर० विभाग प्रमुख यसवत कुमार के साथ-साथ सी०एस०आर० विभाग से विजय वैश्य मीरेन्द्र तिवारी और पाण्डेय भोला वैश्य, प्रभाकर शामिल हुये. साथ ही विद्यालय के समस्त आधार बन्धु समेत आस-पास शासकीय विद्यालय के शिक्षकगण भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन कर रह वीरेन्द्र पाण्डेय ने बताया की भारत एक प्रगतिशील देश है भारत का शैक्षिक इतिहास अत्यधिक समृद्ध है।

काल में ऋषि मुनियों द्वारा शिक्षा मौखिक रूप में दी जाती थी। शिक्षा का प्रसार वर्णमाला के विकास के पश्चात भोज पत्र और पड़ों की छालो पर लिखित रूप में होने लगा इस कारण भारत में लिखित साहित्य का विकास तथा प्रसार होने लगा। देश में शिक्षा जन साधारण को बौद्ध धर्म के प्रचार के साथ-साथ उपलब्द्ध होने लगी। नालन्दा, विक्रमशिला और तक्षशिला जैसी विश्व प्रसिद्ध शिक्षा संस्थानों की स्थापना ने शिक्षा के प्रचार में अहम भूमिका निभाई। भारत में अंग्रेजो के आगमन से युरोपीय मिशनरियो ने अंग्रेजी शिक्षा का प्रचार किया। इसके बाद से भारत में पश्चिमी पद्धती का निरन्तर प्रसार हुआ है। वर्तमान समय में भारत में सभी विषयों के शिक्षण अनेक विश्वविद्यालय उनसे जुड़े हजारों महाविद्यालय है।

सी०एस०आर० प्रमुख यशयत कुमार अपने उद्बोधन में कहा की स्वतंत्रता प्राप्ति के समय से ही देश के नेताओं ने साक्षरता बढ़ाने के लिये कार्य किये और कानून बनाये पर जितना सुधार कागजों में हुआ उतना वास्तव में नहीं हो पाया। केरल को छोड़ दिया जाये तो देश के अन्य शहरों की हालत औसत है जिसमे मध्यप्रदेश में वर्तमान में साक्षरता दर 70 प्रतिशत के करीब है व सिंगरौली जिले में औसतन 62 प्रतिशत के करीब है यही बिहार और उत्तर प्रदेश में साक्षरता दर 70 फीसदी से भी कम ही है।

स्वतंत्रता के समय वर्ष 1947 में देश की केवल 18 प्रतिशत आबादी ही साक्षर यी बाद में वर्ष 2007 तक यह प्रतिशत बढ़कर 65 हो गयी और 2011 में यह बढ़कर 74 प्रतिशत हो गयी लेकिन आज भी 100 प्रतिशत लक्ष्य से दूर है जो आज भी चिंता का विषय है हम पढ़ने वाले बच्चों की हर तरह की मदद करने के लिये तैयार है लेकिन उन्हें पूरे लगन से मेहनत करनी पड़ेगी जो बच्चा आज खेलने और फिल्म देखने में वक्त गुजार देगा उसका भविष्य अधकारमय होना तय है,

वही कार्यक्रम में का महान के मानव संसाधन प्रमुख विना मुखर्जी ने शिक्षा का सफलता की कजी बताते हुए कहा कि शिक्षक भविष्य के निर्माता और जीवन में जिससे भी ज्ञान मिले ग्रहण कर लेना चाहिये जानिया की न तो जात होती. न ही उम्र आवश्यक है। शिक्षा के आभाव में किसी कार्यक्रम का नियोजन सम्मत नहीं है, शिक्षा हमारे जीवन का आवश्यक अंग व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। वास्तव में निरक्षरता उधर के समान है और हर प्रकाश के समान है जीवन जीने के लिये लोगों का साक्षर जाना जरूरी है।

जीवन में सफलता और बेहतर जीने के लिये भोजन की तरह ही साक्षरता भी महत्वपूर्ण है। साथ ही यह गरीबी उन्मूलन, बाल मृत्यूदर को कम करने, जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने, लैंगिक समानता की प्राप्ति आदि के लिये भी आवश्यक है। एक व्यक्ति का शिक्षित होना उसके स्वयं का विकास है वहीं एक बालिका शिक्षित होकर पूरे घर को संवार सकती है। जब देश का हर नागरिक साक्षर होगा तभी देश की तरक्की हो सकेगी। वही हिण्डालको महान के मानव संसाधन प्रमुख न विद्यालय के प्रचार्य प्रभाकर मिश्रा को जिनका कुछ दिनों पूर्व बड़ोखर में भीषण वाहन दुर्घटना के शिकार हो गये थे उनके इलाज के लिये 50 हजार रुपये/- की त्वरित आर्थिक सहायता का चेक विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य को देत हुये उनके सुखद स्वास्थ्य की कामना की वही कार्यक्रम में आये हुये समस्त शिक्षकों को श्रीफल व सॉल देते हुये सम्मानित किया गया।