प्रत्येक साल फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।18 फरवरी 2023 यानी की आज महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा हैं। पौराणिक ग्रंथों में मिलने वाली कथाओं के जरिए इस दिन माता पार्वती और भगवान शंकर का विवाह हुआ था, इसलिए ये दिन शिव भक्तों के लिए बहुत अधिक खास है। मान्यता के मुताबिक इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा करने से दाम्पत्य जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। साथ ही जिन लोगों के विवाह में विलंब हो रहा हो या फिर जो लोग अपने सच्चे प्यार की प्राप्ति करना चाहते हैं तो उनके लिए आज का दिन बहुत ही शुभ है। इस दिन सच्चे समर्पण और प्रेम के भाव से कुछ उपायों को करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। तो आइए जानते हैं विवाह के लिए खास उपाय …
जल्द विवाह के लिए करें ये खास उपाय
अगर विवाह में निरंतर बाधाएं आ रही हों तो महाशिवरात्रि के दिन किसी ऐसे मंदिर में जाएं जहां पर शिव-पार्वती की मूर्तियां एक दूसरे के पास बनी हो। इसके बाद लाल रंग की मौली लेकर शिव जी और माता पार्वती की परिक्रमा करते हुए सात बार मौली से दोनों के बीच गठबंधन कर दें। यदि परिक्रमा करने के लिए पर्याप्त जगह स्थान न हो तो एक ही जगह पर खड़े होकर भी कलावा बांध सकते हैं। तत्पश्चात दोनों की संयुक्त रूप से पूजा अर्चना करें। फिर भगवान शंकर और माता पार्वती से अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विनती करें।
मनचाहे जीवन साथी के लिए करें ये उपाय
महाशिवरात्रि के पर्व पर लाल रंग के कपड़े पहनकर नजदीक के किसी भी शिव मंदिर में जाएं। भगवान शंकर और माता पार्वती की विधिवत पूजा आराधना करें। इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की सामग्री जैसे लाल चूड़ियां, लाल चुनरी, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, कुमकुम आदि चीजें जरूर अर्पित करें। इसके बाद माता पार्वती से विनती करें। इसके बाद रामचरितमानस में वर्णित शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग जरूर ही पढ़ें। ऐसी मान्यता है कि शादी में आने वाली अड़चनों को दूर करने और मनचाहा जीवन साथी प्राप्त करने के लिए इस प्रसंग के पाठ को सुनना बहुत ही शुभ होता है।
प्रेम विवाह के लिए करें ये उपाय
लव मैरिज के लिए महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती के सामने रामचरित मानस की इस चौपाई का पाठ जरूर करें। रामचरित मानस में ये प्रसंग बालकांड का है, जिसके मुताबिक प्रभु श्री राम को देखकर सीता जी उनसे विवाह करने की इच्छा को लेकर इस चौपाई को पढ़ते हुए मां पार्वती से भगवान राम को वर के रूप में प्राप्त करने की विनती की थी.
चौपाई
तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी।।
जेहि कें जेहि पर सत्य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।