हिंदुत्व के प्रबल पक्षधर और राममंदिर आन्दोलन के प्रणेता आचार्य धर्मेद्र महाराज (Dharmendra Maharaj) के निधन की सुचना अभी-अभी सूत्रों के माध्यम से प्राप्त हुई है। राममंदिर आन्दोलन के प्रणेता होने के साथ ही आचार्य धर्मेंद्र पँचखण्ड पीठाधीश्वर भी थे। आचार्य धर्मेद्र महाराज का निधन हिन्दू समाज के लिए एक अपूर्ण क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
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गुजरात के मालवाडा में हुआ था जन्म
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आचार्य धर्मेद्र महाराज का जन्म सन 9 जनवरी 1942 को गुजरात के मालवाडा में हुआ। आचार्य धर्मेद्र अपने बचपन से ही अद्भुत क्षमता और प्रतिभा के धनी थे। इन्होंने 13 साल की उम्र में वज्रांग नाम से एक समाचारपत्र निकाला। गांधीवाद का विरोध करते हुएआचार्य धर्मेद्र महाराज 16 वर्ष की उम्र में “भारत के दो महात्मा” नामक लेख लिखा। वर्ष ।959 में हरिवंश राय बच्चन की “मधुशाला” की प्रतिक्रिया स्वरूप “गोशाला ” नामक काव्य पुस्तक लिखी।
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श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन और गोरक्षा आन्दोलन में योगदान
आचार्य धर्मेद्र महाराज को विशेषकर श्री राम जन्मभूमि आन्दोलन और गोरक्षा आन्दोलन में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1966 में गोरक्षा आंदोलन के अंतर्गत आचार्य श्री धर्मेन्द्र महाराज ने 52 दिन का अनशन किया था। इसके आलावा वर्ष 1984 में राममंदिर आंदोलन के प्रारम्भिक चरण में आचार्य श्री धर्मेन्द्र महाराज के द्वारा विशिष्ट योगदान प्रदान किया गया था।