भारत-चीन सीमा के बीच विकास कार्यो ने पकड़ी गति, जिससे बौखलाया चीन

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भारत सराकर ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब के क्षेत्रों के बूनियादी ढांचे की समस्याओं को दूरूस्त करने के लिए इसी साल फंड जारी किया था। इसमें सबसे ज्यादा अरूणाचल प्रदेश में चीन सीमा से लगे इलाकों को अधिक फंड दिया है। इससे वहा पर कई विकास परियोजनायों का काम जोरो-शोरों से शुरू हो चुका है। इससे चीन की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। इसी की वजह से पिछली 9 तारीख को अरुणाचल के तवांग सेक्टर में भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी।

आमने-सामने की इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें भी आई थीं। जून 2020 में दोनों पड़ोसी देशों के बीच लद्दाख स्थित गलवान घाटी में घातक संघर्ष के बाद यह इस तरह की पहली घटना है।

दरअसल पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध को देखते हुए सरकार ने सीमा पर बुनियादी ढांचे के निर्माण की गति तेज कर दी थी। इनमें महत्वाकांक्षी अरुणाचल फ्रंटियर हाईवे और ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे एक प्रस्तावित सुरंग जैसी कुछ अहम परियोजनाएं शामिल हैं।

देशभर में हाईवे परियोजनाएं

अरुणाचल में चीन से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक संपर्क बढ़ाने की केंद्र सरकार की कवायद को इसी बात से समझा जा सकता है कि सरकार ने इस महीने की शुरुआत में देशभर में हाईवे परियोजनाओं के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये जारी किए, जिनमें से 44 हजार करोड़ रुपये अकेले अरुणाचल के विकाय कार्यों के लिए रखे गए थे।

वहीं भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और सीमा सड़क संगठन (BRO) सहित विभिन्न केंद्रीय सरकारी एजेंसियों ने मिलकर वर्ष 2014 और 2019 के बीच 8 पूर्वोत्तर राज्यों में कुल 2,731 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया है।

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बीआरओ के बजट में भारी इजाफा

सीमा क्षेत्रों तक सड़क संपर्क बढ़ाने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता को इस बात से भी समझा जा सकता है कि बीआरओ के लिए निर्धारित राशि को पिछले साल के 2500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2022-23 के आम बजट में 3500 करोड़ रुपये कर दिया गया। यह बीआरओ के बजट में करीब 40 फीसदी की बढ़ोतरी थी।

अंग्रेजी वेबसाइट द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार सरकार से जुड़े एक अधिकारी कहते हैं, ‘एलएसी से सटे इलाकों खासकर पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे के विकास पर बहुत जोर दिया गया है। इसमें वर्तमान में चल रही परियोजनाओं में तेजी लाने के साथ नई परियोजनाएं शुरू करना भी शामिल है। इस कारण से बीआरओ के बजट में बड़ा उछाल देखा गया है।

चीन से सटे इलाकों में सड़क संपर्क बढ़ाने पर केंद्र सरकार के इसी फोकस का नतीजा है कि पिछले साल बीआरओ उत्तर-पश्चिमी और पूर्वोत्तर के राज्यों में 102 सड़कें और पुल बनाए। इन परियाजनों का फायदा यह है कि चीन के साथ किसी संभावित टकराव की सूरत में सैन्य दस्ते को इन इलाकों में तेजी से भेजा जा सकेगा और यही बात चीन को बार-बार सताए रहती है।