यूपी में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया है। भाजपा को यहाँ बड़ा झटका लगा है। उत्तर प्रदेश में इसके बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई। सरकार और पार्टी के बीच खींचतान चल रही है। लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इस वजह से बैठकों का दौर चल रहा है।
एनडीए के घटक दलों के बाद अब अपने नेता भी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ हो गए हैं। अब डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के बाद सीएम योगी से दूरी बना ली है। दोनों डिप्टी सीएम की बैठक दिल्ली में हाईकमान के साथ हुई। ये कोई नई बात नहीं है कि ब्रजेश पाठक सीएम योगी के विरोधियों से मिल गए हैं, इससे पहले भी उनकी मुख्यमंत्री के ‘दुश्मन’ से दोस्ती थी।
बता दें की डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक भाजपा या आरएसएस बैकग्राउंड के नेता नहीं हैं। साल 2002 में कांग्रेस से हरदोई के मल्लावां से चुनाव लड़ा और हार गए। ब्रजेश पाठक ने छात्र संघ से राजनीति की शुरआत की थी। वे इसके बाद बसपा में भी शामिल हुए मगर साल 2016 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लियायोगी की पहली सरकार में वे कानून मंत्री थे और दूसरी में वे डिप्टी सीएम बन गए। ब्रजेश पटाहक के बारे में कहा जाता है की वे हवा का रुख भांप जाते हैं। यही काऱण है की सिर्फ 6 सालों में वे डिप्टी सीएम बन गए।
यह बात तो सब जानते हैं की पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में ब्राह्मण और ठाकुर की दुश्मनी काफी फेमस है। पूर्व माफिया डॉन और मंत्री हरिशंकर तिवारी का गढ़ चिल्लूपार को माना जाता है। आपको बता दें की जब योगी आदित्यनाथ का कट्टर प्रतिद्वंद्वी रिशंकर तिवारी को माना जाता था। इसके बाद योगी सरकार की पुलिस ने कार्यवाई करते हुए उनके घर पे छापा मारा था। तब डिप्टी सीएम हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर तिवारी के करीबी माने जाते थे।