अरुण पटेल
भले ही पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को भाजपा के परंपरागत आधार वाले तथा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के दबदबे वाले ग्वालियर-चंबल संभाग में सेंध लगाने में सफलता मिल गई हो लेकिन मालवा और निमाड़ अंचल में 7 में से 6 सीट कांग्रेस से छीनकर भाजपा ने उसके जनाधार को खिसका कर उसे धीरे से जोर का झटका दे दिया है। भाजपा को भी यहां पर कांग्रेस ने एक ऐसा झटका दिया है जिसकी टीस उसे भी रहेगी क्योंकि आगर सीट उसके उम्मीदवार विपिन वानखेड़े ने कड़े मुकाबले में जीत दर्ज करा कर भाजपा से काफी लम्बे अंतराल बाद छीन ली है। यहां पर उपचुनाव भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल के निधन से रिक्त हुए हुए स्थान की पूर्ति के लिए हो रहा था और ऊंटवाल के बेटे मनोज ऊंटवाल को लगभग 2000 मतों से वानखेड़े ने पराजित कर दिया। 2018 के विधानसभा चुनाव में विपिन को ही मनोहर ऊंटवाल ने 2000 से अधिक मतों से पराजित किया था। भाजपा को भरोसा था कि सहानुभूति की लहर से उसका उम्मीदवार जीत जाएगा लेकिन सहानुभूति कार्ड नहीं चला और भाजपा के मजबूत किले में कांग्रेस ने सेंधमारी कर दी। पूरे प्रदेश में भले ही मतदाताओं ने शिवराज पर भरोसा करते हुए सत्ता की चाबी सौंप दी हो पर भाजपा यहां पर अपने गढ़ को नहीं बचा पाई। देखने वाली बात यही होगी की कांग्रेस पांच अंचल में अपने खोए जनाधार को पाने के लिए अब क्या करेगी क्योंकि अब उसे यहाँ काफी मशक्कत करना होगी।
निमाड़ और मालवा इलाके में वैसे भाजपा की पकड़ मजबूत रही है पर कांग्रेस भी यहां पर सीटें जीती रही है । विंध्य अंचल और मालवा निमाड़ में कांग्रेसी उम्मीदवार बड़े अंतर से हारे हैं जो संकेत देता है कि आदिवासी मतदाताओं का कांग्रेस से फिर से मोहभंग तो नहीं होने लगा है। इन अंचलों में भाजपा का चेहरा शिवराज सिंह चौहान ही थे लेकिन निमाड़ मालवा में उसकी शानदार जीत की पटकथा लिखने में कैलाश विजयवर्गीय और उनके कट्टर समर्थकों की अहम भूमिका रही है। सांवेर में कमलनाथ और शिवराज सरकार में मंत्री रहे तुलसी सिलावट पहली बार भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे तो उन्होंने भाजपा से कांग्रेस में आए पूर्व कांग्रेसी सांसद प्रेमचंद गुड्डू को 53264 मतों के भारी अंतर से पराजित कर दिया। 2018 के चुनाव में सिलावट कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में यहां से 2945 मतों से ही जीते थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सिलावट के लिए यहां प्रचार करने आए थे। बदनावर सीट पर शिवराज सरकार के मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव कांग्रेस के कमल पटेल को 32123 वोटों से हराकर कर चुनाव जीते। 2018 में दत्तीगांव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 41506 मतों से मतों से चुनाव जीते थे। सुवासरा में 2018 के चुनाव 350 मतों से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीतने वाले हरदीप सिंह डंग शिवराज सरकार में मंत्री बनने के बाद 29440 मतों के अंतर से कांग्रेस के राकेश पाटीदार को हराकर अपना मंत्री पद बचाए रखने में सफल रहे। मांधाता में पुराने कांग्रेसी और नए भाजपाई नारायण सिंह पटेल ने कांग्रेस के उत्तम पाल सिंह को 22128 मतों के अंतर से हरा दिया जबकि उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में 2018 का चुनाव मात्र 1236 मतों से जीता था। नेपानगर में सुमित्रा देवी कास्डेकर ने कांग्रेस के रामकिशन पटेल को 26340 मतों के भारी अंतर से पराजित कर दिया जबकि कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सुमित्रा देवी ने 1264 मतों के अंतर से ही चुनाव जीता था। हाटपिप्पलया में मनोज चौधरी ने कांगेस के राजवीर सिंह बघेल को 13519 वोटों से हरा दिया। 2018 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में मनोज चौधरी ने भाजपा के उम्मीदवार और शिवराज सिंह चौहान सरकार में तत्कालीन राज्य मंत्री दीपक जोशी को 30519 मतों से पराजित किया था ।
भाजपा ने बुंदेलखंड अंचल की दोनों सीटें कांग्रेस से छीन ली और अब एक और उपचुनाव दमोह में कांग्रेस विधायक के त्यागपत्र देने से होगा उसमें भी अब बदले हुए हालातों में कांग्रेस शायद ही अपनी सीट बचा पाए। सुरखी में कमलनाथ और शिवराज सिंह चौहान दोनों की सरकारों में राजस्व एवं परिवहन मंत्री रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे विश्वासपात्र गोविंद सिंह राजपूत ने कांग्रेस की पारुल साहू को 40991वोटों से पराजित कर दिया। राजपूत ने 2018 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस टिकट पर 21418 मतों से जीता था। भाजपा के प्रद्युम्न सिंह लोधी ने कांग्रेस उम्मीदवार रामसिया भारती को 17567मतों से हराया जबकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में लोधी ने 15757 वोटों से चुनाव जीता था। विंध्य अंचल केअनूपपुर में शिवराज सरकार के मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस के विश्वनाथ सिंह को 34864 वोटों से हराया जबकि 2018 का चुनाव कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उन्होंने 11561 वोटों से ही जीता था। भोपाल संभाग में दो उपचुनाव हुए उनमें से ब्यावरा में कांग्रेस ने अपनी सीट पर कब्जा बरकरार रखा और उसके उम्मीदवार रामचंद्र दांगी ने भाजपा के नारायण सिंह पवार को 12102 मतों से पराजित किया जबकि 2018 में कांग्रेस के गोवर्धन लाल दांगी ने भाजपा के ही पवार को 826 मतों से हराया था। कांग्रेस विधायक के निधन के कारण यह सीट खाली हुई थी।
और अंत में………….
एक तरफ तो भाजपा उम्मीदवार के रूप में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री प्रभुराम चौधरी ने 28 उपचुनावों में सबसे बड़ी जीत का कीर्तिमान बनाते हुए कांग्रेस के मदन लाल चौधरी को 63809 मतों के भारी भरकम अंतर से सांची सीट पर पराजित किया और वहीं नतीजा आने के पूर्व ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने भाजपा के एक बड़े दलित चेहरे और पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार तथा उनके पुत्र मुदित शेजवार को भितरघात करने तथा दल विरोधी गतिविधियों के कारण, कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। शेजवार के बचाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती सामने आ गई हैं उन्होंने कहा है कि नोटिस देना औपचारिकता है शेजवार ने विरोध में काम नहीं किया है मैंने वीडी शर्मा से बात कर ली है कि मैं चाहती हूं कि गौरीशंकर शेजवार पर कार्यवाही ना हो। उल्लेखनीय है कि उमा भारती ने उपचुनावों में भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में जोरदार प्रचार किया था और उनके ही कारण दो लोधी विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए। उमा भारती और केंद्रीय मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल के द्वारा प्रचार करना भाजपा के लिए काफी फायदे का रहा और लोधी मतदाताओं का झुकाव उसके उम्मीदवारों की ओर हुआ ।
दैनिक समाचार पत्र सुबह सवेरे के 12 नवंबर 2020 के अंक में प्रकाशित।