उज्जैन। कोरोना के पुनः बढ़ते हुए मामलों को देख कर एक बार फिर जिला प्रशासन के साथ-साथ सामाजिक संस्थाएं भी सामूहिक रूप से प्रयास कर समाज में अपनी भूमिका तय करने में लग गए हैं। कोरोना के चलते सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर देखने को मिला है। स्कूल जाना छूट गया। ऑनलाइन क्लास के चलते दिन भर मोबाइल के सम्पर्क, मैदान से दूरी व घर में रहने के कारण उनके मानसिक स्तर पर हो रहे परिवर्तन को लेकर संस्थाओं ने चिंता व्यक्त की ।
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मप्र जनअभियान परिषद और नियो विजन सोसाइटी यूनिसेफ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित बैठक में शहर की प्रमुख सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने सम्मिलित होकर सुझाव दिए। जनअभियान परिषद के उपाध्यक्ष विभाष उपाध्याय द्वारा बैठक मैं कहा कि परिषद की ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति एवं जनअभियान परिषद की पूरी टीम बाल अधिकार संरक्षण को लेकर काफी गंभीर है और सभी विभागों के साथ मिलकर इस विषय पर कार्य करने में पूर्ण सहयोग प्रदान करेगी।
उपाध्याय का कहना था कि बच्चों में नैतिक शिक्षा को बढ़ाना चाहिए ताकि बच्चों की आंतरिक चेतना विकसित होगी। जो बच्चे टीकाकरण से अभी तक वंचित है उनकी सूची बनाकर उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित करेंगे। स्कूल स्तर पर वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। बच्चियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाएंगे आदि अनेक विषयों पर विस्तार से संस्थाओं ने अपने अपने विचार रखकर अपनी भूमिका समाज के लिए तय की है। सभी विभागों एवं संस्थाओं ने मिलकर एक ग्रुप का गठन किया ताकि एक दूसरे के समन्वय के साथ बाल अधिकारों का संरक्षण एवं बच्चों से संबंधित समस्याओं का निराकरण करने में एक दूसरे का सहयोग कर सकें साथ ही ग्राम बाल संरक्षण कमेटी के गठन में भी जनअभियान परिषद ने कुछ सक्रिय सदस्यों के नाम प्रदान करने को कहा है ताकि ग्रामीण स्तर पर बाल संरक्षण समितियां सक्रिय रूप से कार्य कर सकें। विजन सोसायटी के जिला समन्वयक रितेश श्रोत्रिय ने बैठक का संचालन किया व अंत में आभार व्यक्त करते हुए सभी संस्थाओं के सुझाव व निरन्तर किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की।