चकल्लस प्रेस क्लब की, ठिये से उपजा प्रश्न ‘ब्रांड एम्बेसडर’ विकास दवे की उपेक्षा का

mukti_gupta
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अपने इंदौर का प्रेस क्लब का ठिया भी आजकल ज्ञान बांटने और बल्लेबाजी के मामले में बड़ा फेमस है। विशेषकर वहाँ चाय के साथ जब इंदौरी पत्रकार एक साथ बैठते हैं तो फिर सारी दुनिया की बातें निकल आती है। ऐसी ही एक चौपाल को मैं चुपचाप सुन रहा था। इंदौर से निकलने वाले एक पुराने अखबार के संपादक अचानक बोले – भिया एक बात बताओ स्वच्छता अभियान तुमको मालम है।” सब पत्रकार चौंके भारत का ऐसा कोई आदमी होगा जिसे स्वच्छता अभियान पता ना हो?

उन्होंने कहा “वह तो ठीक है पर इंदौरियों को स्वच्छता अभियान से जुड़े कितने चेहरे याद है?”
अभी ताजा ताजा इंदौरी चैनल से जुड़े एक युवा संवाददाता ने कहा – 6 बार स्वच्छता अभियान का एक नंबर का इनाम जीतने वाले इंदौर में भोत चेहरे हैं। हमारी ताई, बाद के सांसद शंकर भिया और शेर जैसे हमारे कलेक्टर कमिश्नर रहे मनीष सिंह, आशीष सिंह और इन दिनों की कमिश्नर प्रतिभा पाल जैसे कई अधिकारी स्वच्छता के नाम पर ही तो अपनी झांकी चमका चुके हैं दिल्ली में।

एक और पत्रकार मित्र ने बीच में सुसकी छोड़ी अरे भिया झांकी जमाने में तो दिल्ली में बैठे अपने अखिल भारतीय नेता जी भी पीछे नहीं रहे। क्या गजब की घड़ी करी उन्होंने इन झाँकीबाज अधिकारियों की। एक जोरदार ठहाका मीडिया साथियों का गूंज उठा। तभी अनुभवी संपादक जी ने नाक के किनारे तक खिसक आया अपना चश्मा थोड़ा ऊपर किया और बोले -“लेकिन कभी तुम लोगों ने ध्यान दिया है अपने पत्रकार साथियों में से एक आदमी स्वच्छता अभियान के शुरू होने से ही मोदी जी के अनुमोदन से ब्रांड एंबेस्डर बनाया गया है। मजे की बात यह है कि उस व्यक्ति को गोवा की उस टेम की राज्यपाल मृदुला सिन्हा जी ने मनोनीत किया था।

अब सारे खोजी पत्रकार चौंककर इस बुर्जुआ पत्रकार को देखने लगे।वो फिर से बोले -“जानते हो मोदी जी ने स्वच्छता अभियान प्रारंभ करते ही अपने नवरत्न घोषित किए थे। गर्व की बात ये कि सबसे पहला रत्न उन्होंने साहित्य से घोषित किया था मतलब अपने जैसे किसी कलमकार को जो थी साहित्यकार मृदुला सिन्हा। उसके बाद तो उन्होंने सलमान खान, रितिक रोशन, सचिन तेंदुलकर जैसे कई लोगों को ब्रांड एंबेसडर बनाया। इन नवरत्नों को उन्होंने कहा कि वो सब मिलकर अपने – अपने नवरत्न तय करें ताकि 90 लोगों की एक बड़ी ब्रांड एंबेसडर की टीम तैयार हो सके। और भिया इंदौर के लिए इससे बड़े गौरव की बात क्या हो सकती है सबसे पहली ब्रांड एंबेसडर घोषित हुई मृदुला सिन्हा ने पूरे इंदौर ही नहीं बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में एकमात्र व्यक्ति को ब्रांड एम्बेसडर बनाया वह अपने इंदौर प्रेस क्लब का सदस्य देवपुत्र का संपादक डॉ विकास दवे था। और तो और मैं एक बार जब गोवा एयरपोर्ट पर उतरा तो सामने ही अपने उस इंदौरी का बड़ा भारी फोटो लगा हुआ था और साथ में पूरे गोवा को स्वच्छ करने की उनकी अपील ग्लो साइन बोर्ड पर चमक रही थी। अपनी तो भिया कॉलर ऊंची हो गयी। लेकिन मेरी समझ में एक बात नहीं आई इंदौर के इतने सारे अधिकारी, इतने सारे महापौर, इतने सारे विधायक, पूर्व और वर्तमान सांसदों में से आज तक किसी को भी यह बात ध्यान में नहीं आई कि जो आदमी पूरे भारत के स्वच्छता अभियान का ब्रांड एंबेसडर है उसको कम से कम इंदौर में स्वच्छता मिशन की पहचान बनाकर प्रस्तुत कर सके?

अब प्रेस क्लब के सारे पत्रकारों को दादा की बात समझ में आ गई। तभी निमाड़ के गांव से आए एक गंभीर पत्रकार बोले -“ऐसा है भिया वो आरएसएस का आदमी है। वो खुद अपना नाम और फोटो कहीं लगवाएगा नहीं और अधिकारियों को धमकाना उसे आता नहीं। मुझे अच्छे से पता है उस आदमी ने आज तक अपने मनोनयन के पत्र की फोटो कॉपी भी किसी अधिकारी को या पेपर वाले को नहीं दी है। यहां इंदौरी बीजेपी के वार्ड लेवल के नेता किसी समिति के सदस्य बन जाएं तो बवाल काट लेते हैं। और तो और इंदौर 6 बार स्वच्छता में नंबर एक पर आया पर आज तक किसी नेता और ना किसी साहब को ये सूझ पड़ी कि उस आदमी को निमंत्रण तक भेजे जो आदमी इंदौर के इंदौर में है।जो आदमी बरसों से स्वच्छता अभियान के लिए दिल्ली के गलियारों में इंदौरियों की जमावट करता रहता है यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय में होने वाली बैठकों में इंदौर के इन्हीं नेताओं और अधिकारियों की तारीफ के पुल बांधता रहता है उसको ये लोग कभी कौड़ी साटे नहीं पूछते।

इंदौर के प्रसिद्ध सांध्य दैनिक की एक तेजतर्रार महिला पत्रकार गुस्से में बोली -“इंदौर से तो भोपाल नगर निगम अच्छा है कि उसने स्वच्छता अभियान के लिए भोपाल के सीनियर पत्रकार, साहित्यकार और यहां तक की युवा छात्र नेताओं तक के फोटो चौराहे -चौराहे पर टांग दिए ताकि स्वच्छ भोपाल का मेसेज समाज तक सही ढंग से जा सके और अपने इंदौरी नेता और अधिकारी हैं कि इनको अपना नेशनल ब्रांड एंबेसडर भी दिखाई नहीं देता।

अपुन चाय की चुस्की लेते हुए चुपचाप जीतू भिया की कुर्सी के पास में बैठकर इस पूरी चकल्लस का आनंद ले रहे थे। लेकिन मन में यह बात तो आई है कि जो आदमी साहित्य जगत में धूम मचाकर अपनी सशक्त उपस्थिति पूरे देश में दर्ज करा रहा है उसको स्वच्छता मिशन में ऐसी घोर उपेक्षा अपने ही गृहनगर में मिलेगी इस बात पर तो शायद किसी का ध्यान ही नहीं गया। इसलिए आज रात को सोने से पहले इसी विषय पर कलम चला डाली।

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ये ठीक है कि वो आदमी प्रसिद्धि से दूर रहता है पर क्या वर्तमान महापौर भी इस बारे में विचार नहीं करेंगे? जिनकी टिकट के लिए उनका यह हित चिंतक ‘स्वयंसेवक मित्र’ खुद की थाली में धरे महापौर के टिकिट को कैंसिल कराकर भोपाल में प्रदेश संगठन मंत्री से लड़ भीड़कर चुपचाप इनका टिकट फाइनल कराकर ले आया ‘सबका मित्र पुष्यमित्र’ खुद के ही इस हितचिंतक पत्रकार मित्र को नजरअंदाज करके सबका मित्र कैसे बन सकता है? तो अभी तो चलें भिया अगली बार फिर प्रेस क्लब की उसी चौपाल से कुछ नया लेकर आएंगे।