मति बदलने से बदल जाती है गति- आचार्य विजय कुलबोधि

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महेश नगर (राजमोहल्ला) में आचार्यश्री के प्रवचन में उमड़ा जैन धर्मावलंबियों का जनसैलाब, जिनशासन का महत्व बताया

इन्दौर 25 मई। आज संसार में मनुष्य की स्थिति यह है कि वह मंदिर तो जाना नहीं चाहता लेकिन श्मशान से सीधे देवलोक जाना चाहता है। मनुष्य को अगर देव लोक की गति मिल जाए या मृत्यु लोक की गति मिल भी जाए तो कोई फायदा नहीं होगा। जब तक मनुष्य की मति नहीं बदलती तब तक गति परिवर्तन कोई मायने नहीं रखता। ऐसा शास्त्र भी कहते हैं। उसके कोई मायने नहीं। मति बदलने के लिए मनुष्य जीवन में तीन संकल्प आवश्यक हैं। पहला हमारा भव, दूसरा हमारे भाव तथा तीसरा हमारी भावी यानी भविष्य नहीं बिगडऩा चाहिए। उक्त विचार महेश नगर में आयोजित धर्मसभा में आचार्य विजय कुलबोधि सूरीश्वर मसा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं को प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने प्रवचन में आगे कहा कि मानव जीवन सभी भवों में दुर्लभ माना गया है देवता भी मान्यश्य भव में आने को लालायित रहते है। अत: यह बिगडऩा नहीं चाहिए। अपना जीवन परमार्थ व धर्म के कार्य में लगाना चाहिए।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि रविवार 26 मई को आचार्यश्री सुबह 9.15 से 10.15 तक महेश नगर (राजमोहल्ला) उपाश्रय में प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। रविवार के दिन हजारों धर्मावंलबी शामिल होकर प्रवचनों का लाभ लेंगे। शनिवार को प्रवचन में धीरू शाह, रूपेश शाह, संजय लुनिया सहित सैकड़ों की संख्या में जैन समाज के लोग उपस्थित थे।

श्री नीलवर्णा पाश्र्वनाथ मूर्तिपूजक ट्रस्ट अध्यक्ष विजय मेहता एवं कल्पक गांधी ने बताया कि आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी 27 से 28 मई पीपली बाजार उपाश्रय, 29 मई को वर्धमान नगर, 30 मई से 1 जून गुमाश्ता नगर, 2 से 3 जून द्वारकापुरी श्रीसंघ, 4 जून पाŸवनाथ नगर, 5 से 9 जून तिलक नगर श्रीसंघ, 10 से 12 जून अनुराग नगर श्रीसंघ, 13 से 14 जून विजय नगर श्रीसंघ, 15 से 16 जून सुखलिया, 17 से 18 जून क्लर्क कालोनी, 19 से 21 जून वल्लभ नगर, 22 से 23 जून पत्थर गोदाम, 24 से 29 जून रेसकोर्स रोड़, 30 जून राऊ एवं 1 से 3 जून जानकी नगर श्रीसंघ में आचार्यश्री का मंगल प्रवेश होगा।