आर्टिकल
चुनाव प्रक्रिया में अब तक नहीं आया बदलाव, EVM को मिल रही कड़ी सुरक्षा
रविवारीय गपशप लेखक – आनंद शर्मा हाल ही में पंचायत चुनावों की घोषणा हो गयी है , उम्मीद है कि अब शीघ्र ही प्रदेश में त्रिस्तरीय ढाँचे के प्रथम स्तम्भ
आदमी को पहाड़ खाते देखा है..।
जयराम शुक्ल आज अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस है(स्मरण लेख) भोपाल से इंदौर जाते हुए जब देवास बायपास से गुजरता हूँ तो कलेजा हाथ में आ जाता है। बायपास शुरू होते ही
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है सरकार!
पिछडे वर्ग की नाराजगी भारी पड़ सकती है शिवराज सरकार को? विजया पाठक मध्यप्रदेश में आदिवासी के हितैषी बनने की होड़ को लेकर चल रहा सियासी संग्राम अभी थमा भी
निराशा के भंवर में युवाओं के सपने!
ज्वलंत/जयराम शुक्ल इंदौर के भंवरकुआं को अब ट्ंट्य मामा भील के नाम से जाना जाएगा। ट्ंट्या मामा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे उनके गाँव पातालपानी रेल्वे स्टेशन को भी उन्हीं के
हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे
आज अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस है, शरद जोशी हम भारतीयों के लिए इसका स्वस्तिपाठ बहुत पहले लिख गए थे। इस संसारसागर से मोक्ष चाहते हैं तो पूरा पढ़ें और वाचन
बिपिन रावत गहरी साजिश से मारे गए, दुर्घटना नहीं, देश के दुश्मनों की साजिश है
आचार्य विष्णुगुप्त दुर्घटना कहने वाले कहते रहें। मैं नहीं मानता। मैं अनुभवों और परिस्थिति जन्य जानकारियों के आधार पर यह कह सकता हूं कि चीफ ऑफ़ डिफेंस स्टाफ सीडीएस विपिन
आदिवासी नायक ‘टंट्या’ को लेकर ‘दिव्य दृष्टि’.
दिनेश निगम ‘त्यागी’ भाजपा नेतृत्व खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मन में अचानक आदिवासी नायकों को लेकर प्रेम व सम्मान हिलोरे मार रहा है। पहले भगवान बिरसा मुंडा की
कांग्रेस के स्पेस पर टिकी सत्ता और प्रतिपक्ष की ‘गिद्ध दृष्टि’ …!
अजय बोकिल भारतीय राजनीति का यह दिलचस्प मोड़ है। दिलचस्प इसलिए क्योंकि, जहां एकतरफ भाजपा (एनडीए) कांग्रेस के खत्म होते जाने में अपने लिए सत्ता का स्थायी स्पेस देख रही
क्या भागवत हिंदुओं को (अहिंसक) उग्रवादी बनाना चाहते हैं ?
-श्रवण गर्ग संघ प्रमुख मोहन भागवत अगर एक लम्बे समय से सिर्फ़ एक बात दोहरा रहे हैं कि हिंदुओं को ताकतवर बनने (या उन्हें बनाए जाने) की ज़रूरत है तो
ओमीक्रॉन वायरस डेल्टा की तुलना में कई गुना ज्यादा खतरनाक – डॅा. तनय जोशी
Indore News : पिछले दो वर्ष से हम कोरोना महामारी के गंभीर परिणामों से भलीभांति परिचित हो चुके हैं किन्तु सबकुछ जानते हुए भी लापरवाही पूर्ण हमारा रवैया ठीक नहीं
कृषि कानून वापसी कहीं ‘रोलबैक सरकार’ की नींव न रख दे…!
अजय बोकिल मोदी सरकार ने वादे के मुताबिक विवादित तीन कृषि कानूनों को विविधवत वापस ले लिया है, वापसी का बिल लोकसभा व राज्यसभा में बिना चर्चा के विपक्ष के
क्या यह गलत परंपरा की शुरुआत नहीं
दिनेश निगम ‘त्यागी’ अंग्रेजों की याद दिलाने वाले भोपाल के मिंटो हाल का नाम भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के नाम करने की घोषणा गले नहीं उतरी। भाजपा के
फुले सामाजिक समरसता के अग्रदूत
पुण्यतिथि: महात्मा ज्योतिबा महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. उनकी माता का नाम चिमणाबाई और पिता का नाम गोविन्दराव था. महात्मा ज्योतिबा फुले
सरकारी नौकरी में किराए के मकान में रहना बड़ा मुश्किल होता है
रविवारीय गपशप लेखक – आनंद शर्मा सरकारी नौकरी में स्थानांतरण होने पर सबसे पहली फ़िक्र जो होती है , वो ये है कि मकान का क्या होगा । सरकारी मकान
बच्चन जी दो लोकगीत जो कविसम्मेलनों में मधुशाला से भी ज्यादा सुने-सराहे जाते थे!
जयराम शुक्ल भाषा और बोली के सामर्थ्य को लेकर चल रहे विमर्श के बीच हरिवंशराय बच्चन जी की ११३वीं जयंती पर उनके दो लोकगीत ‘सोन मछरी’ व ‘महुआ’ याद आ
क्या हार में क्या जीत में’ लिखी तो सुमनजी ने पर अधिसंख्य इसे अटलजी की मानते है…ऐसा क्यों ?
जयराम शुक्ल आज राष्ट्रकवि डा.शिवमंगल सिंह सुमनजी की पुण्यतिथि है। सुमनजी, दिनकरजी की तरह ऐसे यशस्वी कवि थे जिनकी हुंकार से राष्ट्रअभिमान की धारा फूटती थी। संसद में अटलजी ने
सोशल मीडिया पर बैन लगाना कहीं से भी जायज नहीं है -डॉ आनन्द रंगनाथन
इंदौर लिटरेचर फेस्टिवल में आज डॉ आनंद रंगनाथन ने कहा कि सोशल मीडिया पर बैन लगाना कहीं से भी जायज नहीं है उन्होंने कहा कि इस तरह के प्लेटफार्म पर
इंदौर..अहिल्याबाई के आराध्य का नाम है
नितेश पाल खबर आई है कि नाम बदलने के चलन में इंदौर के नाम को देवी अहिल्याबाई नगर करने की तैयारी की जा रही है। नाम बदलने के इस चलन
क्या संविधान एक अकेले अँबेडकर ने रचा था!
जयराम शुक्ल बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) को भारतीय संविधान का वास्तुकार माना जाता है, संविधान सभा में उनकी विद्वतायुक्त व तार्किक बहसों के आलोक में देखें तो
राजनीतिक शुचिता की पुरातत्वीय, संपदा थे कैलाश जोशी जी
जयराम शुक्ल आज जब राजनीति में सुचिता रुई के धूहे में सुई ढूंढने जैसा है ऐसे में कैलाश जोशी (Kailash Joshi) जी का स्मरण करना किसी प्रभाती मंत्र का जाप























