फुले सामाजिक समरसता के अग्रदूत

Author Picture
By Pinal PatidarPublished On: November 28, 2021

पुण्यतिथि: महात्मा ज्योतिबा
महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 को पुणे में हुआ था. उनकी माता का नाम चिमणाबाई और पिता का नाम गोविन्दराव था. महात्मा ज्योतिबा फुले बहुत बुद्धिमान थे. उन्होंने मराठी में अध्ययन किया. वे महान क्रांतिकारी, भारतीय विचारक, समाजसेवी, लेखक एवं दार्शनिक थे. उनका परिवार कई पीढ़ी पहले माली का काम करता था. वे सातारा से पुणे फूल लाकर फूलों के गजरे आदि बनाने का काम करते थे, इसलिए उनकी पीढ़ी ‘फुले’ के नाम से जानी जाती थी.


Also Read – MP News : पाबंदियां हटने के बाद फिर MP में बढ़े कोरोना केस, एक दिन में मिले इतने मरीज

महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार आंदोलन जोरों पर था. जाति-प्रथा का विरोध करने और एकेश्‍वरवाद को अमल में लाने के लिए ‘प्रार्थना समाज’ की स्थापना की गई थी, जिसके प्रमुख गोविंद रानाडे और आरजी भंडारकर थे. उस समय महाराष्ट्र में जाति-प्रथा बड़े ही वीभत्स रूप में फैली हुई थी. स्त्रियों की शिक्षा को लेकर लोग उदासीन थे, ऐसे में महात्मा ज्योतिबा फुले ने समाज को इन कुरीतियों से मुक्त करने के लिए बड़े पैमाने पर आंदोलन चलाए. उन्होंने महाराष्ट्र में सर्वप्रथम महिला शिक्षा तथा अछूतोद्धार का काम आरंभ किया था. उन्होंने पुणे में लड़कियों के लिए भारत का पहला विद्यालय खोला.

इन प्रमुख सुधार आंदोलनों के अतिरिक्त हर क्षेत्र में छोटे-छोटे आंदोलन जारी थे, जिसने सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर लोगों को परतंत्रता से मुक्त किया था. लोगों में नए विचार, नए चिंतन की शुरुआत हुई, जो आजादी की लड़ाई में उनके संबल बने. इस महान समाजसेवी ने अछूतोद्धार के लिए सत्यशोधक समाज स्थापित किया था. उनका यह भाव देखकर 1888 में उन्हें ‘महात्मा’ की उपाधि दी गई थी. महात्मा ज्योतिराव गोविंदराव फुले की मृत्यु 28 नवंबर 1890 को पुणे में हुई थी. हम आज श्रद्धांजलि अर्पित कर उन्हें नमन करते हैं.