भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में गोल्ड लोन से संबंधित नई गाइडलाइंस को लेकर एक अहम घोषणा की। इस प्रस्ताव के अनुसार, आरबीआई सोने के आभूषणों को गिरवी रखकर कर्ज देने वाली रेगुलेटेड यूनिट्स (बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां, एनबीएफसी) के लिए नए विवेकपूर्ण और आचरण संबंधी मानदंड तय करने की योजना बना रहा है। इस कदम का उद्देश्य गोल्ड लोन देने के तौर-तरीकों को सुसंगत और नियंत्रित करना है, ताकि जोखिम प्रबंधन और ग्राहक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
आरबीआई द्वारा प्रस्तावित इस बदलाव की खबर के बाद गोल्ड लोन से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली है। मुथूट फाइनेंस के शेयरों में करीब 6 फीसदी की गिरावट आई है। कंपनी का शेयर 2162.95 रुपए पर कारोबार कर रहा था, और कारोबारी सत्र के दौरान यह 2027.25 रुपए तक गिर गया।

क्या हैं इस निर्णय के पीछे RBI का उद्देश्य
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने यह भी कहा कि नई गाइडलाइंस का उद्देश्य सभी रेगुलेटिड यूनिट्स में एक सुसंगत और मजबूत नियामकीय ढांचा तैयार करना है, जो उनकी जोखिम लेने की क्षमता के अनुरूप हो। इस कदम से लोन देने की प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को अधिक सुरक्षा मिलेगी। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इन लोन के लिए निर्धारित मानदंड समय-समय पर अपडेट होते रहें।
आरबीआई ने अपने नियामकीय सैंडबॉक्स फ्रेमवर्क को भी और विकसित करने की योजना बनाई है। 2019 में लॉन्च किए गए इस फ्रेमवर्क के तहत आरबीआई ने अब तक चार विशिष्ट विषयों के लिए सैंडबॉक्स संचालन किया है। अब, आरबीआई ने इसे और भी सुलभ और थीम न्यूट्रल बनाने का प्रस्ताव रखा है। इसका उद्देश्य वित्तीय क्षेत्र में नए और अभिनव उत्पादों को बिना किसी बड़े नियामकीय अवरोध के परीक्षण करने की सुविधा प्रदान करना है।
को-लोन के दायरे में भी किया जाएगा विस्तार
आरबीआई ने को-लोन के दायरे को भी विस्तार देने की घोषणा की है। अब, सभी प्रकार की को-लोन व्यवस्थाओं के लिए एक सामान्य नियामकीय ढांचा तैयार किया जाएगा। इससे बैंकों और एनबीएफसी के बीच को-लोन को लेकर अलग-अलग दिशा-निर्देशों का एकीकरण होगा।
आरबीआई द्वारा यह प्रस्तावित बदलाव वित्तीय क्षेत्र के विभिन्न पहलुओं को मजबूत करने और डिजिटल एवं फिनटेक नवाचारों के साथ तालमेल बनाए रखने के उद्देश्य से किए गए हैं।