Budget 2023 : पिछले वित्त साल 2022-23 में नरेंद्र मोदी सरकार (Modi Sarkar) की तरफ से प्रस्तुत किए गए बजट का आकार 39.45 लाख करोड़ रूपए था और इस बार भी यह 40 लाख करोड़ के करीबन ही रहेगा. क्या आप जानते हैं कि सरकार के पास ये पैसा कहां से आता है और इसे कहां-कहां खर्च किया जाता है?
Finance Minister निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitaraman) आज देश का आम बजट (Budget) 2023 प्रस्तुत कर रही हैं. वित्त मंत्री के रूप में उनका ये निरंतर पांचवां बजट है. बजट के बीच सरकार की तरफ से कई नई स्कीमों का ऐलान किया जाता है और साथ ही तक़रीबन हर सेक्टर के लिए बड़े बजट का अलॉटमेंट किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सरकार के पास इतना पैसा कहां से आता है और इसे कहां-कहां खर्च किया जाता है. बीते वित्त साल 2022-23 के लिए बजट का आकार 39.45 लाख करोड़ रूपए था और इस बार भी देश का आम बजट करीब 40 लाख करोड़ रुपये होने वाला है.
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सरकार की कमाई का जरिया
सर्व प्रथम अगर बात की जाए तो सरकार के पास इतना पैसा कहां से आता है? सरकारी आंकड़ों के अनुसार, तो बता दें सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई बजट 2022 कॉपी में इसका पूरा ब्योरा उपलब्ध कराया गया था. इसके अनुसार, सरकार की कमाई खासतौर पर लोग जानते हैं कि टैक्स और राजस्व के द्वारा होती है. सबसे अधिक उधार और अन्य देयताएं से फंड मिलता है, उसके बाद जीएसटी और अन्य टैक्स से पैसा मिलता है. सरकार की इनकम का 35 फीसदी हिस्सा कर्ज और अन्य देनदारियों से ही आता है.
सरकार यहां से करती है इनकम
उधार-देनदारी: 35 फीसदी
जीएसटी: 16 फीसदी
कॉर्पोरेशन टैक्स: 15 फीसदी
आयकर: 15 फीसदी
केंद्रीय उत्पाद शुल्क: 7 फीसदी
सीमा शुल्क: 5 फीसदी
गैर कर राजस्व: 5 फीसदी
कर्ज से इतर कैपिटल इनकम: 2 फीसदी
एक रूपए की इनकम के हिसाब से देखें तो सरकार के पास इसमें से 35 पैसे उधार और उन्य देयताओं से आता है. इसके बाद GST, Corporation Tax, Income Tax, Custom Duty सहित अन्य टैक्सेस का हिस्सा होता है.
Interest चुकाने में सबसे अधिक खर्च
इन जरियों से हुई इनकम को सरकार बजट में लोककल्याण स्कीमों से लेकर दूसरे मदों पर खर्च करती है. इकोनोमिस्ट की सहायता से एक रूप-रेखा तैयार की जाती है कि किस सेक्टर और किस मंत्रालय को कितने फंड की आवश्यकता है. इसके बाद अलग-अलग सेक्टर्स के लिए बजट के आवंटन का ऐलान किया जाता है. सबसे अधिक खर्च की बात करें तो Interest चुकाने में सबसे अधिक पैसा खर्च किया जाता है, जो लगभग 20 फीसदी है.
ऐसे खर्च होता है सरकारी पैसा…
ब्याज चुकाने में: 20 फीसदी
टैक्स व शुल्कों में राज्यों का हिस्सा: 17 फीसदी
सेंट्रल सेक्टर स्कीम: 15 फीसदी
सेंट्रल स्पांसर्ड स्कीम: 9 फीसदी
वित्त आयोग व अन्य ट्रांसफर- 10 फीसदी
वित्त आयोग और अन्य- 10 फीसदी
सब्सिडी: 8 फीसदी
रक्षा- 8 फीसदी
पेंशन: 4 फीसदी
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