महाकाल मंदिर में मोबाइल और बैग ले जाने पर लगा बैन, जानिए अब कहां होगा जमा?

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विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल का धाम लाखों-करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का खास केंद्र है. मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बाद जैसे ही सुरक्षाकर्मी द्वारा रिल्स बनाने व अन्य कई विवादित मामले सामने आने से मंदिर की छवि धूमिल होते देख इस मामले को मंदिर समिति ने गंभीरता से लिया और अब मंदिर में मंगलवार यानी कल 20 दिसंबर 2022 से मोबाइल व बैग ले जाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है.

मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि 10,000 मोबाइल व बैग रखने के लिए तीन प्रवेश द्वार पर व्यवस्थाएं की है. एक प्रशासक कार्यालय के समीप, एक प्रवेश द्वार 4 नंबर व एक मानसरोवर द्वार पर, जहां डिजिटल प्रक्रिया से होकर श्रद्धालुओं को गुजरना होगा और बहुत आसान है. यह सुविधा किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

ऐसी होगी मंदिर की व्यवस्थाएं

श्रद्धालू मंदिर में मानसरोवर द्वार, प्रोटोकॉल प्रवेश द्वार 4 व प्रशासनिक कार्यालय के पास बने भस्मार्ती काउंटर के पास मोबाइल व बैग रख सकेंगे. लाकर रूम हाई टेक सीसीटीवी से लैस होंगे मोबाइल व बैग लेने रखने वालों की लाइन अलग-अलग होगी. शुरुआत में 10,000 लॉकर की व्यवस्था की गई है. श्रद्धालु परिवार के साथ आया है और सबके पास मोबाइल है तो ट्रे में एक व्यक्ति मोबाइल देगा उसका फोटो लिया जाएगा. फोटो लेते ही एक क्यूआर कोड जनरेट होगा और उसका प्रिंट श्रद्धालु को दिया जाएगा, जिसे वापस लाकर श्रद्धालु को दिखाना होगा. श्रद्धालु का डिटेल सॉफ्टवेयर में UPDATE होगा लाकर का नंबर उस रसीद में बताया जाएगा. ये पाबंदी सिर्फ महाकाल मंदिर में रहेगी श्री महाकाल महालोक में नहीं.

गर्भगृह में भी 24 जनवरी से प्रवेश पर प्रतिबंध

आपको बता दें कि आगामी नववर्ष को देखते हुए 24 दिसंबर 2022 से 5 जनवरी 2023 तक मंदिर के गर्भ ग्रह में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पुर्णतः प्रतिबंध किए जाने के आदेश भी जारी किए गए हैं. वहीं मंदिर में जो लड्डू प्रसादी 300 रुपए किलो मिलती है, उसके भाव बढ़ाकर अब घाटे(नुकसान) के कारण 360 रुपए प्रति किलो करने का निर्णय हुआ है. हालांकि यह सब व्यवस्थाएं कोई पहली बार नहीं इससे पहले भी कई बार इस तरह की व्यवस्था मंदिर समिति द्वारा लागू की गई. लेकिन वह व्यवस्था ज्यादा दिन टिक नहीं पाई. अब देखना यह होगा कि दोबारा शुरू की गई इस व्यवस्था को मंदिर समिति कितने लंबे वक्त तक बरकरार रखती है.